त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट्स करने पर एफ़आईआर दर्ज कर यूएपीए लगा दिया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगा।
बिप्लब देब ने फिर विवादित बयान दिया है। इस बार अदालतों को लेकर। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में वह त्रिपुरा सिविल सेवा के अधिकारियों के सामने जो कह रहे हैं उसपर विपक्षी दलों के नेता क्यों आपत्ति कर रहे हैं?
त्रिपुरा में बीजेपी और सीपीएम समर्थकों के बीच संघर्ष के बाद ताज़ा हिंसा की ख़बरें हैं। पार्टी कार्यालयों में तोड़फोड़, आगजनी हुई। वाहन जला दिए गए। हिंसा में कई घायल हुए हैं। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाया है।
पीयूष कांति विश्वास ने कहा है कि वे राजनीति से भी रिटायर हो रहे हैं। लेकिन उनके टीएमसी में जाने की अटकलें लग रही हैं। बीते सोमवार को असम से आने वालीं सुष्मिता देव ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था।
त्रिपुरा में चुनावी सर्वे कर रही चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम को हाल ही में हाउस अरेस्ट कर लिया गया था। इससे साफ है कि बीजेपी और टीएमसी के कार्यकर्ताओं का अगला रण क्षेत्र त्रिपुरा ही होगा।
त्रिपुरा पुलिस ने टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी सहित पार्टी के अन्य नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है। यह मामला उससे जुड़ा है जिसमें टीएमसी नेताओं पर त्रिपुरा में कथित तौर पर हमले हुए हैं।
त्रिपुरा पुलिस ने दावा किया है कि राज्य के मुख्यमंत्री बिप्लब देव पर शाम को जानलेवा हमला किया गया, उस समय वे शाम को घर के बाहर टहल रहे थे। तीन लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है।
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम आईपैक का कहना है कि उसके लोगों को त्रिपुरा में होटल से बाहर नहीं निकलने दिया गया और उन्हें वहाँ नज़रबंद रखा गया। वे वहाँ तृणमूल कांग्रेस की संभावनाओं का पता लगाने गए थे।
पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में मवेशी ले जा रहे तीन लोगों को उत्तेजित स्थानीय लोगों ने पीट-पीट कर मार डाला। मारे गए लोगों के नाम हैं-ज़ायद हुसैन, बिलाल मियाँ और सैफ़ुल इसलाम।