तेलंगाना में सरकार चला रही तेलंगाना राष्ट्र समिति ने कहा है कि उसके चार विधायकों को पार्टी बदलने के लिए मोटी रकम देने की कोशिश की गई। इस मामले में पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में ले लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। तेलंगाना में कुछ ही महीनों के भीतर विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और टीआरएस का सीधा मुकाबला इस बार बीजेपी से होना है।
बता दें कि ऑपरेशन लोटस को लेकर बीते दिनों दिल्ली और पंजाब की सियासत में अच्छा खासा हंगामा हो चुका है और इन राज्यों की सरकारों ने बीजेपी नेताओं पर उनकी सरकारों को गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया था।
उससे पहले भी बीजेपी पर ऑपरेशन लोटस के जरिए विपक्षी दलों की राज्य सरकारों को गिराने का आरोप लगता रहा है। बीजेपी नेता डीके अरूणा ने कहा है कि इस मामले में केसीआर और टीआरएस ड्रामा कर रहे हैं।
क्या है मामला?
साइबराबाद के पुलिस आयुक्त स्टीफन रवींद्र ने एनडीटीवी को बताया कि टीआरएस के चार विधायकों ने बुधवार शाम को पुलिस को सूचना दी थी कि उन्हें राजनीतिक दल बदलने के लिए रिश्वत देने की कोशिश की जा रही है। सूचना पर पुलिस ने मोइनाबाद के अजीज नगर में स्थित एक फार्म हाउस पर छापा मारा।
पुलिस प्रमुख ने एनडीटीवी को बताया कि छापे के दौरान यहां पर तीन लोग मिले जो विधायकों को लालच देने की कोशिश कर रहे थे। इन 3 लोगों में हरियाणा के फरीदाबाद के पुजारी सतीश शर्मा उर्फ रामचंद्र भारती, तिरुपति में श्रीमनाथ राजा पीठम के पुजारी सिम्हैयाजी और व्यवसायी नंदा कुमार शामिल हैं। विधायकों की शिकायत के बाद पुलिस ने इस मामले में कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है और आगे की जांच की जा रही है।
पुलिस प्रमुख ने कहा कि इस मामले में हिरासत में लिए गए तीनों लोगों के बैकग्राउंड की जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि यह तीनों ही लोग फर्जी पहचान पत्र के आधार पर हैदराबाद आए थे।
स्टीफन ने कहा कि इस मामले में चारों विधायकों को अच्छी खासी रकम देने की पेशकश की गई थी लेकिन वह अभी रकम को लेकर कोई खुलासा नहीं कर सकते। सूत्रों के मुताबिक, इस काम में अहम भूमिका निभाने वाले शख्स को 100 करोड़ रुपए दिए जाने थे जबकि हर विधायक को 50-50 करोड़ रुपए देने की पेशकश की गई थी।
जिन चार विधायकों ने पुलिस से इस मामले में शिकायत की थी उनके नाम गुववाला बलाराजू, बी. हर्षवर्धन रेड्डी, रेगा कांताराव और पायलट रोहित रेड्डी हैं। जिस फार्म हाउस में रिश्वत देने की कोशिश का आरोप लगाया गया है वह विधायक रोहित रेड्डी का है।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, रामचंद्र भारती आरएसएस का करीबी है और वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित बीजेपी के कई नेताओं के साथ दिखता रहा है। जबकि नंदा कुमार केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी का करीबी है।
बताना होगा कि कुछ दिन पहले टीआरएस के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव ने अपनी पार्टी का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति कर दिया था। केसीआर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय राजनीति में जगह तलाशना चाहते हैं।
साल 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से ही ऑपरेशन लोटस नाम का शब्द लोगों की जुबान पर आया। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि ऑपरेशन लोटस के जरिए बीजेपी विपक्षी दलों के विधायकों में तोड़फोड़ करती है और विपक्ष की सरकारों को गिराती है। कर्नाटक, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश आदि राज्य इसके उदाहरण हैं। हालांकि बीजेपी ऑपरेशन लोटस को लेकर लगाए गए सभी आरोपों से इनकार करती है।
यहां इस बात को जानना जरूरी होगा कि ऑपरेशन लोटस प्रमुख रूप से कब-कब और किन राज्यों में चला।
शिवसेना में टूट
इस साल जून में शिवसेना में बड़ी बगावत हुई थी और शिवसेना के 55 में से 40 विधायक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ चले गए थे। बड़ी संख्या में सांसदों, शिवसेना के जिला प्रमुखों ने भी उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दिया था। तब शिवसेना ने ऑपरेशन लोटस के जरिये उसके विधायकों को तोड़ने का आरोप बीजेपी पर लगाया था।
दिल्ली, पंजाब में आरोप
कुछ महीने पहले आम आदमी पार्टी ने पंजाब में अपने चार विधायकों को प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया के सामने पेश किया था। विधायकों ने कहा था कि उनसे बीजेपी के नेताओं ने संपर्क किया था और पार्टी में शामिल होने का न्यौता दिया था। इसके एवज में 20 से 25 करोड़ रुपए देने की बात विधायकों ने कही थी। दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी ने उसके विधायकों को 20-20 करोड़ का ऑफर देकर खरीदने की कोशिश की थी।
मार्च 2016, उत्तराखंड
साल 2016 में उत्तराखंड में कांग्रेस की तत्कालीन हरीश रावत सरकार के खिलाफ पार्टी के विधायकों ने बड़ी बगावत की थी। तब कांग्रेस के 36 में से 9 विधायकों ने बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस की सरकार बच गई थी लेकिन 2017 के चुनाव में उसकी सत्ता से विदाई हो गयी थी।अक्टूबर 2016, अरुणाचल प्रदेश
साल 2016 में 60 सदस्यों वाली अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा में बीजेपी के पास सिर्फ 11 विधायक थे। लेकिन उसने पीपल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल में जबरदस्त सेंधमारी की थी और उसके 44 में से 33 विधायकों को तोड़ लिया था। यह सभी विधायक बीजेपी के साथ आ गए थे और बीजेपी ने राज्य में अपनी सरकार बना ली थी।जुलाई 2019, कर्नाटक
कर्नाटक में जुलाई 2019 में कांग्रेस और जेडीएस की गठबंधन सरकार अपने विधायकों की बगावत के चलते गिर गई थी। यह गठबंधन सरकार सिर्फ 14 महीने चल सकी थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में कर्नाटक में बीजेपी सबसे बड़ा दल होने के बावजूद सरकार नहीं बना सकी थी और उसके बाद से ही इस बात की आशंका थी कि वह ऑपरेशन लोटस के जरिए राज्य में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार को गिरा सकती है।मार्च 2020, मध्य प्रदेश
साल 2018 में मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए। इसमें बीजेपी के 109 विधायक जीत कर आए जबकि कांग्रेस को 114 सीटें मिली थी। कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। लेकिन एक साल कुछ महीने बाद ही पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस के लगभग 22 विधायकों ने विद्रोह कर दिया और वे बीजेपी में शामिल हो गए। इस वजह से मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार गिर गई और बीजेपी ने सरकार बना ली।
गोवा में पिछले महीने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को तब जोरदार झटका लगा जब उसके 11 में से आठ विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। गोवा में इससे पहले साल 2019 में कांग्रेस के 15 में से 10 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे। तब भी कांग्रेस ने ऑपरेशन लोटस के जरिए उसके विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाया था।
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