चुनाव आयोग ने कर्नाटक सरकार की ओर से तेलंगाना के अखबारों में प्रकाशित विज्ञापनों पर रोक लगा दी है। आयोग ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना है।
चुनाव आयोग ने कर्नाटक सरकार के प्रधान सचिव को नोटिस जारी कर मंगलवार शाम 5 बजे तक जवाब मांगा है।आयोग ने ये भी पूछा है कि सूचना विभाग के अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाए?
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग का यह फैसला बीजेपी और तेलंगाना सीएम केसीआर की सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति की शिकायत पर किया है।
अपनी शिकायत में, भाजपा जिसने अभिनेता-राजनेता पवन कल्याण की जन सेना के साथ गठबंधन किया है और बीआरएस ने आरोप लगाया कि कांग्रेस चुनावों को प्रभावित करने के लिए सार्वजनिक धन का दुरुपयोग कर रही है।
कांग्रेस पार्टी ने इस साल की शुरुआत में कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने भाजपा की सरकार वाले एकमात्र दक्षिणी राज्य कर्नाटक में भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया था।
भाजपा और बीआरएस का आरोप है कि कांग्रेस कर्नाटक की सत्ता का दुरुपयोग कर के तेलंगाना में सत्ता हासिल करना चाहती है।
रायथु बंधु योजना के भुगतान पर भी लगी रोक
इससे पहले चुनाव आयोग ने तेलंगाना की केसीआर सरकार को झटका देते हुए सोमवार 27 नवंबर को रायथु बंधु योजना के तहत रबी फसलों के लिए किसानों को वित्तीय सहायता देने की अनुमति वापस ले ली थी। तेलंगाना की केसीआर सरकार के एक मंत्री ने चुनाव आचार संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए इसके बारे में सार्वजनिक घोषणा की थी।
चुनाव आयोग ने कहा था कि "इस योजना के तहत तब तक किसी पैसे का वितरण नहीं किया जाएगा जब तक कि तेलंगाना राज्य में सभी चुनावी प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती।
24 नवंबर को चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को 28 नवंबर से पहले रायथु बंधु योजना के तहत राशि वितरित करने के लिए हरी झंडी दी थी। चुनाव पैनल ने राज्य सरकार को कुछ आधारों पर आदर्श आचार संहिता की अवधि के दौरान रबी किस्त का भुगतान करने की मंजूरी दे दी थी। शर्त के तहत राज्य को चुनाव आचार संहिता के दौरान पैसों के बांटने का प्रचार नहीं करने को कहा गया था। तेलंगाना में 30 नवंबर को चुनाव है।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने सोमवार को अपनी अनुमति वापस लेने के फैसले के बारे में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सूचित किया था। राज्य के वित्त मंत्री ने रबी किस्तों के भुगतान जारी करने के बारे में सार्वजनिक घोषणा की थी। उन्होंने कथित तौर पर कहा था, "वितरण सोमवार 27 नवंबर को किया जाएगा।
किसानों का नाश्ता और चाय खत्म होने से पहले ही, पैसा उनके खाते में जमा कर दिया जाएगा।रविवार को, कांग्रेस ने मुख्य चुनाव आयुक्त से तेलंगाना सरकार की इस योजना के बारे में सूचित करते हुए प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था। हालांकि बीआरएस ने चुनाव अभियान में रायथु बंधु राशि के वितरण का उल्लेख नहीं किया था। लेकिन उसके मंत्री चुनाव अभियान में इसका प्रचार करते नजर आए।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को संबोधित एक पत्र में, कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि बीआरएस नेता चुनाव आयोग की मंजूरी को मतदाताओं को "प्रभावित करने" के उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। वे इस योजना को ऐसे पेश कर रहे हैं जैसे कि वे पैसे अपनी जेब से दे रहे हों।
बीआरएस नेता अब कांग्रेस पर आरोप लगा रहे हैं कि उसने पैसे बांटने में बाधा डाली, जो सही नहीं है। चुनाव आयोग द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद, राज्य सरकार की ओर से एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि चूंकि 25, 26 और 27 नवंबर को बैंक की छुट्टियां हैं और चुनाव आयोग ने निर्देश दिया है कि 29 और 30 नवंबर को रायथु बंधु के तहत धन के वितरण की अनुमति नहीं है। धनराशि किसानों के बैंक खातों में जमा की जाएगी।
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