loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
56
एनडीए
24
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
233
एमवीए
49
अन्य
6

चुनाव में दिग्गज

कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय

जीत

पूर्णिमा दास
बीजेपी - जमशेदपुर पूर्व

जीत

तेलंगाना: हिंदू मतों के ध्रुवीकरण के लिए और जोर लगाएगी बीजेपी!

ग्रेटर हैदराबाद के नगर निगम चुनाव को इस बार बीजेपी ने राष्ट्रीय स्तर का चुनाव बना दिया। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर गृह मंत्री अमित शाह, चुनावी रणनीतिकार भूपेंद्र यादव से लेकर तमाम नेता इस चुनाव में जुटे रहे। दूसरी ओर तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष और सांसद बांडी संजय कुमार और भाजयुमो के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने हिंदू मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने वाले तमाम बयान दिए और ओवैसी को जिन्ना बताने से लेकर पुराने हैदराबाद में सर्जिकल स्ट्राइक करने की भी बात कही। 

सवाल यह है कि ग्रेटर हैदराबाद में पिछले चुनाव में सिर्फ़ 4 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने आख़िर इस बार इतना जोर क्यों लगाया। इसके पीछे राज्य में मुसलिमों की बड़ी आबादी का होना है। बीजेपी जानती है कि ऐसे राज्यों में जहां मुसलिम मतदाता बड़ी संख्या में हैं, वहां वह हिंदू मतों का ध्रुवीकरण कर सकती है। इसके अलावा यह भी तय है कि बीजेपी हिंदू मतों के ध्रुवीकरण के लिए और ताक़त झोंकेगी क्योंकि नगर निगम के चुनाव में उसे इसका फ़ायदा मिला है। 

तेलंगाना में 13 फ़ीसदी मुसलिम मतदाता हैं। ग्रेटर हैदराबाद के आसपास की 10 सीटों पर मुसलिम मतदाताओं की बड़ी संख्या है और 30 अन्य सीटों पर भी उनकी उपस्थिति है। 

ताज़ा ख़बरें

हैदराबाद में मजलिस असरदार

हैदराबाद के अलावा रंगा रेड्डी, महबूबनगर, नालगोंडा, मेढक, निज़ामाबाद और करीमनगर में मुसलिमों की अच्छी आबादी है। तेलंगाना की कुल मुसलिम आबादी का 43.5% मुसलिम अकेले हैदराबाद में हैं। हैदराबाद में 24 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें 10 पर मुसलिम मतदाता ही निर्णायक स्थिति में हैं। पुराने हैदराबाद को मजलिस का गढ़ माना जाता है और वह लंबे वक़्त से यहां की सभी 7 सीटें जीतती रही है। 

बीजेपी की घुसपैठ 

पिछले कुछ सालों में बीजेपी ने दक्षिण में घुसपैठ बढ़ाई है। कर्नाटक के अलावा वह तमिलनाडु, आंध्र और तेलंगाना में भी अपने विस्तार में जुटी है। यह तेलंगाना में बीजेपी का बढ़ता असर ही था कि टीआरएस को नगर निगम में अलग चुनाव लड़ना पड़ा जबकि राज्य सरकार को मजलिस का समर्थन हासिल है। 

टीआरएस प्रमुख और राज्य के मुख्यमंत्री केसीआर इस बात को जानते हैं कि जिस तरह बीजेपी राज्य में हिंदू मतदाताओं के ध्रुवीकरण में जुटी है और उसे दुब्बका सीट पर हुए उपचुनाव में जीत मिली है, इससे उनका ओवैसी के साथ दिखना मुश्किल भरा हो सकता है। लेकिन दो साल पहले तक ऐसी स्थिति नहीं थी। 

BJP hindu polarization politics in telangana - Satya Hindi

टीआरएस-मजलिस का साथ 

2018 के विधानसभा चुनाव से पहले ओवैसी ने मुसलिम मतदाताओं से हैदराबाद के बाहर टीआरएस का साथ देने की अपील की थी। ये ऐसी सीटें थीं, जहां पर मजलिस के उम्मीदवार नहीं थे। ओवैसी की इस अपील का टीआरएस को फ़ायदा भी मिला और वह कांग्रेस से आगे निकलने में क़ामयाब रहे। 

तेलंगाना में मुसलिमों के वोटों की अहमियत को पहचानते हुए ही पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले केसीआर ने निज़ाम की तारीफ़ करनी शुरू कर दी थी। इसे लेकर कांग्रेस और बीजेपी ने कड़ा एतराज भी जताया था। 

BJP hindu polarization politics in telangana - Satya Hindi

केसीआर की सरकार ने 200 ऐसे स्कूल और कॉलेज बनाए हैं, जो सिर्फ मुसलमानों के लिए हैं और वहां उनकी पढ़ाई, कपड़े और खाना मुफ़्त है। इसीलिए केसीआर के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री केटी रामा राव कहते हैं कि टीआरएस की सरकार में मुसलमान सुरक्षित हैं। 

तेलंगाना से और ख़बरें
ग्रेटर हैदराबाद के चुनाव में बीजेपी नेताओं के हैदराबाद का नाम बदलने के बयानों को लेकर टीआरएस पल्ला झाड़ती नज़र आती है। केसीआर की बेटी और सांसद के. कविता कहती हैं कि नाम बदलने से कुछ नहीं होता, काम करने से होता है। इसका मतलब साफ है कि टीआरएस बेवजह राज्य के मुसलिम मतदाताओं की नाराज़गी मोल नहीं लेना चाहती और हिंदू मतदाताओं को भी नाराज़ नहीं करना चाहती। 
ग्रेटर हैदराबाद के चुनाव नतीजों के बाद केसीआर इस बात के लिए मजबूर हो सकते हैं कि तेलंगाना में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए उन्हें मजलिस के साथ मिलकर चलना पड़े।

ग्रेटर हैदराबाद के चुनाव नतीजे इस बात की तस्दीक करते हैं कि बीजेपी का राज्य में जनाधार बढ़ रहा है और जिस आक्रामक अंदाज में उसने यह चुनाव लड़ा है और उसे सफलता भी मिली है, उससे साफ है कि वह 2023 के विधानसभा चुनाव तक पूरा जोर लगाए रखेगी। 

बीजेपी ने कांग्रेस और टीडीपी को काफी पीछे छोड़ दिया है और जिस तरह उसके नेताओं ने उग्र हिंदुत्व की राजनीति का झंडा तेलंगाना में उठाया है, उससे साफ है कि तेलंगाना फतेह करने के लिए वह हिंदू मतदाताओं के ध्रुवीकरण के लिए और जोर लगाएगी। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

तेलंगाना से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें