सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में 17 साल की एक छात्रा के आत्महत्या के मामले में सीबीआई जांच की अनुमति दे दी है। छात्रा ने आरोप लगाया था कि उसे ईसाई धर्म कुबूल करने के लिए मजबूर किया गया था। छात्रा ने इस साल 9 जनवरी को जहर खा लिया था और इसके 10 दिन बाद उसकी मौत हो गई थी।छात्रा ने एक वीडियो जारी कर कहा था कि हॉस्टल की वार्डन ने उस पर हॉस्टल साफ करने और मरम्मत का काम करने के लिए दबाव बनाया था।
इसके बाद हॉस्टल की वार्डन को गिरफ्तार कर लिया गया था। यह लड़की थंजावुर के सेंट माइकल्स गर्ल्स होम में रहती थी।
इस मामले में तमिलनाडु की पुलिस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। तमिलनाडु पुलिस ने मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें हाई कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने यह आदेश लड़की के पिता की याचिका पर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि तमिलनाडु सरकार इस मामले में सीबीआई जांच का विरोध कर इसे अपनी नाक का सवाल ना बनाए।
अदालत ने तमिलनाडु पुलिस से कहा कि वह इस मामले में जो भी सुबूत उसके पास है उसे सीबीआई को दे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि सीबीआई को लड़की के द्वारा लगाए गए जबरन धर्म परिवर्तन के आरोपों की जांच करनी चाहिए।
बीजेपी-डीएमके आमने-सामने
लड़की के द्वारा धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने का वीडियो सामने आने के बाद यह मामला राज्य में तूल पकड़ गया था। इस मामले में बीजेपी और राज्य में सरकार चला रही डीएमके आमने सामने आ गए थे। बीजेपी ने कहा था कि इस मामले में स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। जबकि डीएमके की ओर से कहा गया था कि बीजेपी इसे सांप्रदायिक एंगल देने की कोशिश कर रही है और इसके जरिए नफरत फैलाने वाला प्रोपेगेंडा चला रही है।
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