तमिलनाडु में 6 नवंबर को 51 स्थानों पर आरएसएस को मार्च (पथ संचलन) निकालने की अनुमति मिल गई है। इस मुद्दे पर संघ और राज्य पुलिस में रस्साकशी चल रही थी। मामला मद्रास हाईकोर्ट में पहुंचा हुआ है। कल बुधवार को वहां इस मुद्दे पर सुनवाई होनी है।
तमिलनाडु के डीजीपी ने सभी पुलिस कमिश्नरों और जिला पुलिस प्रमुखों को RSS को राज्यभर में 51 स्थानों पर अपने 'रूट मार्च' और जनसभाओं को आयोजित करने की अनुमति देने के लिए एक सर्कुलर जारी किया है। लेकिन पुलिस अधिकारियों से यह भी कहा गया है कि वे अपने इलाकों में 6 नवंबर को कानून व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए इसकी अनुमति दें।
इस आशय का एक सर्कुलर सोमवार को सामने आया। मद्रास हाईकोर्ट में जस्टिस जी के इलांथिरैया के सामने राज्य के लोक अभियोजक हसन मोहम्मद जिन्ना ने डीजीपी का 29 अक्टूबर को भेजा गया सर्कुलर पेश किया। जिसमें अनुमति देने की बात कही गई थी। कोर्ट में आरएसएस ने अवमानना की याचिका दायर की थी। इस पर हाईकोर्ट ने राज्य पुलिस से तीखे सवाल पूछे थे। उसके बाद सोमवार को जब सुनवाई हुई तो राज्य सरकार ने एक तरह से सरेंडर करते हुए इस सर्कुलर के जरिए अपना पक्ष पेश किया।
सर्कुलर ने राज्य में पुलिस आयुक्तों और एसपी को निर्देश दिया कि वे 6 नवंबर को संघ को रैली आयोजित करने की अनुमति दें। लेकिन यह भी सुनिश्चित किया जाए कि हाईकोर्ट के 22 सितंबर के आदेश में लगाई गई शर्तों का पालन किया जा रहा है।
डीजीपी ने कहा कि अधिकारी संबंधित जिले में व्याप्त कानून-व्यवस्था की स्थिति का विश्लेषण करें। वाहनों की आवाजाही प्रभावित नहीं होनी चाहिए। सर्कुलर में कहा गया है कि आम जनता के साथ-साथ जुलूस निकालने वालों की भी सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।
आरएसएस के याचिकाकर्ताओं की याचिका के बाद, हाईकोर्ट ने जिलों में अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों द्वारा अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए मामले की सुनवाई 2 नवंबर बुधवार को करने का फैसला किया है।
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