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एक और दक्षिणी राज्य में फिर से अमूल को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। पहले यह मुद्दा कर्नाटक में बना था। अब तमिलनाडु में। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। उन्होंने अमित शाह से गुजरात स्थित डेयरी अमूल को तत्काल प्रभाव से तमिलनाडु में दूध की खरीद बंद करने का निर्देश देने का आग्रह किया है। स्टालिन ने इसके लिए तर्क दिया है कि अमूल नियमों का उल्लंघन कर ऐसा कर रहा है और इससे राज्य के दूध उत्पादक और स्थानीय सहकारी समितियाँ बुरी तरह प्रभावित होंगी।
कुछ इसी तरह की आशंका तब जताई गई थी जब कुछ महीने पहले अमूल के कर्नाटक के बाज़ार में उतरने को लेकर घोषणा की गई थी। दरअसल, अमूल ने ट्वीट किया था, 'बेंगलुरु में दूध और दही के साथ ताजगी की नई लहर आ रही है। अधिक जानकारी जल्द ही आ रही है।' इसके बाद आशंका जताई गई थी कि दूध उत्पादकों और स्थानीय सहकारी समितियों को नुक़सान होगा।
अब तमिलनाडु में ऐसे ही नुक़सान की आशंका को लेकर स्टालिन ने बड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने इसको लेकर ट्वीट भी किया है।
The decision of AMUL to operate in Tamil Nadu is unfortunate, detrimental to the interest of Aavin and will create unhealthy competition between the cooperatives.
— M.K.Stalin (@mkstalin) May 25, 2023
Regional cooperatives have been the bedrock of dairy development in the states and are better placed to engage and… pic.twitter.com/yn2pKINofO
बहरहाल, तमिलनाडु का मामला थोड़ा अलग है। यह इस रूप में कि कर्नाटक में अमूल अपने उत्पाद बेचने की तैयारी में था, लेकिन तमिलनाडु में अमूल अपने उत्पाद पहले से ही बेचता है और वह अब राज्य से दूध खरीदने जा रहा है। इसी को लेकर स्टालिन ने आपत्ति जताई है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखते हुए स्टालिन ने तमिलनाडु मिल्क शेड क्षेत्र में कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ (अमूल) द्वारा दूध की खरीद से आने वाले मुद्दों पर केंद्र का ध्यान खींचा है।
उन्होंने ख़त में लिखा है कि हाल ही में यह राज्य सरकार के संज्ञान में आया है कि अमूल ने कृष्णागिरी जिले में चिलिंग सेंटर और एक प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने के लिए अपने बहु-राज्य सहकारी लाइसेंस का उपयोग किया है। उन्होंने कहा है कि इसके साथ ही अमूल ने तमिलनाडु में कृष्णागिरी, धर्मपुरी, वेल्लोर, रानीपेट, तिरुपथुर, कांचीपुरम और तिरुवल्लूर जिलों में और उसके आसपास एफपीओ और एसएचजी के माध्यम से दूध खरीदने की योजना बनाई है।
स्टालिन ने आगाह किया है कि अमूल के इस कदम से दूध और दुग्ध उत्पादों की खरीद और विपणन में लगी सहकारी समितियों के बीच अस्वास्थ्यकर प्रतिस्पर्धा पैदा होगी।
स्टालिन ने यह भी साफ़ किया है कि अब तक अमूल तमिलनाडु में सिर्फ़ अपने उत्पादों को अपने आउटलेट्स के माध्यम से बेच रहा था।
बता दें कि चुनाव से पहले कर्नाटक में अमूल के उत्पादों को उतारने को लेकर एक ट्वीट के बाद घमासान मच गया था। कर्नाटक में दूध उत्पादकों से लेकर बेंगलुरु के होटल एसोसिएशन तक ने उस ट्वीट का विरोध किया। दरअसल, अमूल ने ट्वीट किया था, 'बेंगलुरु में दूध और दही के साथ ताजगी की नई लहर आ रही है। अधिक जानकारी जल्द ही आ रही है।' इसके साथ ही घोषणा की गई थी कि गुजरात स्थित अमूल बेंगलुरु में ऑनलाइन डिलीवरी शुरू करेगा।
समझा गया था कि अमूल के कर्नाटक में पहुँचने का सीधा मतलब होता कि राज्य के अपने डेयरी ब्रांड, नंदिनी से उसकी प्रतिस्पर्द्धा होगी। यही वजह है कि नंदिनी ब्रांड के साथ जुड़े लोग आशंकित हुए।
राज्य में दूध उत्पादन से जुड़े लोगों ने विरोध किया। होटल संघ ने भी इसका विरोध किया। ब्रुहत बेंगलुरु होटल एसोसिएशन ने राजधानी के होटलों से स्थानीय ब्रांड नंदिनी के उत्पादों का उपयोग करने का आग्रह किया था। एसोसिएशन के अध्यक्ष पी सी राव ने सभी होटल मालिकों को निर्देश दिया था कि वे कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के प्रसिद्ध डेयरी ब्रांड नंदिनी और राज्य के डेयरी किसानों को उनके उत्पादों का उपयोग करके समर्थन दें।
पीसी राव ने तब द इंडियन एक्सप्रेस से कहा था, 'हम पूरी तरह से अमूल के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन केवल कर्नाटक के बाजार में दूध और दही उत्पादों को बेचने के उनके कदम का विरोध कर रहे हैं, जो हमारे स्थानीय नंदिनी ब्रांड को ख़तरे में डाल सकता है। अमूल का पहले से ही भारत भर में एक बड़ा बाजार है। नंदिनी के दूध और दही उत्पादों का उपयोग करके डेयरी किसानों, विशेषकर महिलाओं के हितों की रक्षा करना एसोसिएशन की सामाजिक जिम्मेदारी है।'
और फिर यह राजनीतिक मुद्दा भी बन गया था। कहा जा रहा है कि बीजेपी को इस पर काफ़ी ज़्यादा नुक़सान उठाना पड़ा। चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पडा है।
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