संसद पहुँचने की चाह खुशबू को भारतीय जनता पार्टी में ले आयी है। जब खुशबू को यकीन हो गया कि कांग्रेस में रहते हुए वह संसद नहीं पहुँच पाएंगी, उन्हे बीजेपी में उम्मीद नज़र आई। वह कई दिनों से तमिलनाडु प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के. एस. अलगिरी से नाराज़ चल रही थीं।
खुशबू 2019 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहती थीं, लेकिन अलगिरी ने यह सुनिश्चित कर दिया था कि खुशबू को टिकट न मिले। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों ने डीएमके के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था। डीएमके की अगुवाई वाले गठबंधन ने तमिलनाडु की 39 में से 38 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने आठ सीटों पर चुनाव लड़ा था और सात पर उसके उम्मीदवारों की जीत हुई थी।
टिकट नहीं मिला
खुशबू जानती थीं कि तमिलनाडु में स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके पार्टी की लहर है और वे कहीं से भी चुनाव लड़ेंगी तो जीत जाएँगी। लेकिन अलगिरी जैसे कुछ नेताओं ने खुशबू को टिकट मिलने से रोकने में अहम भूमिका निभाई।
हाल ही में कन्याकुमारी से कांग्रेस के लोकसभा सदस्य वसंत कुमार के निधन के बाद खुशबू ने इस सीट पर अपना दावा ठोंका। लेकिन एक बार फिर अलगिरी ने अड़चन डाली।
सोनिया को चिट्ठी
खुशबू को यकीन हो गया कि कांग्रेस में रहते हुए न उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट मिलेगा और न ही उन्हें राज्यसभा भेजा जाएगा। संसद पहुँचने की प्रबल इच्छा उन्हें बीजेपी में ले गई।खुशबू ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा देते हुए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को जो चिट्ठी लिखी उसमें इशारों इशारों में अलगिरी और उनके कैम्प के नेताओं पर हमला बोला।
खुशबू ने चिट्ठी में लिखा,
“
‘पार्टी में बड़े पदों पर कुछ ऐसे लोग बैठे हैं, जिनका ज़मीनी हक़ीक़त से कोई नाता नहीं है। ये नेता सिर्फ आदेश दे रहे हैं। मेरे जैसे लोगों को, जो पार्टी के लिए काम करना चाहते हैं, पीछे धकेल रहे हैं और रोक रहे हैं।’
सोनिया गांधी को लिखी खुशबू की चिट्ठी का अंश
कई लोगों का लगा कि यह राहुल गांधी की ओर इशारा है, लेकिन यह तमिलनाडु में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अलगिरी को निशाना बनाते हुए लिखा गया था।
ग़ौर करने वाली बात यह है कि खुशबू को राहुल गांधी का क़रीबी माना जाता रहा है। जब वह डीएमके छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुई थीं, उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया था। कांग्रेस प्रवक्ता के रूप में खुशबू ने बीजेपी की जमकर आलोचना की थी, खुलकर मोदी सरकार पर हमले बोले थे।
वैसे तो कन्याकुमारी की सीट के लिए अभी बीजेपी ने कोई भरोसा नहीं दिया है लेकिन खुशबू को यकीन है कि बीजेपी उन्हें सांसद ज़रूर बनाएगी।
बीजेपी से उम्मीदें
2019 के चुनाव में कन्याकुमारी की सीट से केंद्रीय राज्य मंत्री और वरिष्ठ राजनेता पोन राधाकृष्णन बीजेपी के उम्मीदवार थे। लेकिन वह कांग्रेस के वसंत कुमार से चुनाव हार गये थे। ऐसा लगता है कि उपचुनाव में भी वही बीजेपी के उम्मीदवार होंगे। इसी वजह से खुशबू को या तो अगले लोकसभा चुनाव का इंतज़ार करना होगा या फिर राज्यसभा भेजने के लिए बीजेपी नेतृत्व को मनाना होगा।
बहरहाल, नामी चेहरों की किल्लत से संगठन को तमिलनाडु में मज़बूत नहीं कर पा रही बीजेपी को खुशबू के आने से राहत ज़रूर मिली है। बीजेपी नेतृत्व को उम्मीद है कि खुशबू की देखादेखी दूसरी नामचीन शख्सियतें भी बीजेपी में शामिल होंगी। तमिलनाडु में अगले साल मई के महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं।
तमिलनाडु में एनडीए का नेतृत्व अन्ना डीएमके कर रही है, जो अब सत्ता में है। लेकिन बीजेपी खुद को भी मजबूत करना चाहती है ताकि उसके नेता भी विधानसभा में रहें।
उधर, कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि खुशबू के पार्टी से जाने से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है।
डीएमके क्यों छोड़ा था?
तमिल फिल्मों में अपने किरदारों से धूम मचाने वाली खुशबू ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत डीएमके से की थी। ऐसा माना जाता रहा कि वह करुणानिधि और उनके बेटे स्टालिन के परिवार की काफी क़रीबी हैं। डीएमके के मुखिया की क़रीबी होने के बावजूद जब खुशबू को लगा कि इस पार्टी में रहते हुए संसद पहुँचने का उनका सपना पूरा नहीं होगा, उन्होंने डीएमके छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। जब कांग्रेस में भी उनका सपना पूरा नहीं हुआ वह बीजेपी में आ गईं।
खुशबू ने तमिल में कई सुपरहिट फिल्में दी हैं। रजनीकांत सहित सभी बड़े अभिनेताओं के साथ काम किया है। एक समय ऐसा था जब वह तमिलनाडु में सबसे मशहूर अभिनेत्री थीं। उनकी अदाकारी का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलता था। उनकी लोकप्रियता का अंदाज़ा इस बात से लगाया ला सकता है कि चाहनेवालों ने उनका एक मंदिर भी बनवाया है। बीजेपी को उम्मीद है कि वह इसी लोकप्रियता का तमिलनाडु में फ़ायदा उठाएगी और अपना जनाधार बढ़ाएगी।
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