तमिलनाडु की चार बार की मुख्यमंत्री और करिश्माई नेता रहीं जयललिता की मौत के मामले में अब संदेह गहरा गया है। दरअसल, एक रिपोर्ट कम से कम एक शीर्ष सरकारी अधिकारी और जयललिता की क़रीबी सहयोगी वीके शशिकला की आलोचना करती है।
यह रिपोर्ट है 2016 में चेन्नई के एक अस्पताल में भर्ती होने के बाद जे जयललिता की मौत से जुड़ी हुई। एक पूर्व न्यायाधीश ने एक लंबी रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला है कि जे जयललिता की मौत की जाँच होनी चाहिए।
मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए अरुमुघस्वामी की अध्यक्षता में तब एक जाँच 2017 में गठित की गई थी जब जयललिता की बीमारी, अपोलो अस्पताल में इलाज और क़ानूनी दावों में परस्पर विरोधी तथ्यों को लेकर सवाल उठाए गए थे। जस्टिस ए अरुमुघस्वामी की रिपोर्ट अगस्त में सरकार के सामने पेश की गई थी।
जब डीएमके ने 2021 में राज्य की कमान संभाली, तो उसने अपने चुनावी वादे को दोहराया कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि जयललिता की मौत की स्थिति की विस्तार से जांच हो। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार सरकार द्वारा आज तमिलनाडु विधानसभा में रिपोर्ट साझा की गई। इसमें कहा गया है कि जयललिता की मृत्यु के समय शीर्ष नौकरशाह मुख्य सचिव डॉ. राम मोहन राव आपराधिक कार्यों के दोषी हैं। रिपोर्ट तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री विजय भास्कर के खिलाफ भी कड़ी टिप्पणी करती है और कहती है कि अपोलो के अध्यक्ष डॉ. प्रताप रेड्डी ने जयललिता की स्थिति पर गलत बयान दिया था।
जयललिता की सबसे क़रीबी सहयोगी वीके शशिकला दशकों तक उनके साथ रही थीं। आय से अधिक संपत्ति मामले में 2017 में शशिकला को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था जिसमें जयललिता मुख्य आरोपी थीं। शशिकला को चार साल बाद कर्नाटक की जेल से रिहा कर दिया गया।
जयललिता के निजी डॉक्टर डॉ. केएस शिव कुमार ने जयललिता के बीमार पड़ने पर शुरुआती इलाज किया था। तमिलनाडु के तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव राधाकृष्णन जयललिता की सेहत की निगरानी रखते थे। तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री और जयललिता के करीबी विजय भास्कर बुलेटिन जारी करने से लेकर हेल्थ अपडेट देते थे।
पन्नीरसेल्वम और एआईएडीएमके के कई नेताओं ने उनके निधन को लेकर सवाल उठाया था। उनका कहना था कि उनकी सहयोगी शशिकला और उनके परिवार के सदस्यों ने इस मामले में काफी-कुछ छिपाया है। इसके बाद पल्लानीस्वामी की सरकार ने जाँच बैठाई थी।
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