तमिलनाडु की सत्ता में बैठी एआईएडीएमके का मुक़ाबला कर रही डीएमके ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में लोक लुभावन वादों की बौछार कर दी है। इसमें सबसे बड़ा वादा स्थानीय लोगों को राज्य के उद्योगों में 75 फ़ीसदी रोज़गार देने के लिए क़ानून बनाने का है। हाल ही में हरियाणा की खट्टर सरकार ने ऐसा क़ानून बना दिया है। तमिलनाडु की 234 सीटों पर एक चरण में 6 अप्रैल को मतदान होगा और 2 मई को नतीजे आएंगे।
बंगाल में जिस तरह हिंदुओं को लुभाने की राजनीति चल रही है, उसका असर डीमएके के घोषणा पत्र में भी दिखा है। डीएमके ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर उसकी सरकार राज्य के बड़े हिंदू मंदिरों में जाने वाले 1 लाख श्रद्धालुओं में से प्रत्येक को 25 हज़ार रुपये की वित्तीय सहायता देगी। इसके अलावा हिंदू मंदिरों की मरम्मत और उनके सुधार के लिए 1000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
दूसरे समुदायों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए चर्च और मसजिदों के लिए भी 200 करोड़ रुपये दिए जाने का वादा किया गया है। इसके अलावा मातृत्व अवकाश की अवधि को बढ़ाने, पेट्रोल-डीजल की क़ीमतों को कम करने का भी वादा किया गया है।
शनिवार को पार्टी का घोषणा पत्र जारी करते वक़्त डीएमके प्रमुख स्टालिन ने कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों को टैबलेट दिए जाएंगे और इनमें डाटा भी फ्री होगा। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल की क़ीमत में क्रमश: 5 और 4 रुपये की कमी की जाएगी।
स्टालिन ने बड़ा एलान यह किया कि उनकी पार्टी सत्ता में आने पर एलपीजी सिलेंडर में 100 रुपये की सब्सिडी देगी। पेट्रोल-डीजल की बढ़ी क़ीमतें और महंगे एलपीजी सिलेंडर को लेकर मोदी सरकार निशाने पर है। इसके अलावा उन्होंने छोटे किसानों को सब्सिडी देने का भी वादा किया।
स्टालिन ने कहा कि राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की मौत की जांच के लिए बनी कमेटी की रिपोर्ट को सामने लाने के लिए क़दम उठाए जाएंगे।
डीएमके ने वीसीके, सीपीआई और एमडीएमके को 6-6 सीटें दी हैं। कांग्रेस 34 सीटें मांग रही थीं लेकिन उसे 25 सीटें दी गई हैं। जबकि 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 41 सीटें दी गई थीं। डीएमके 174 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
पलानिस्वामी-स्टालिन आमने-सामने
तमिलनाडु में इस बार का विधानसभा चुनाव पिछले चुनावों से पूरी तरह अलग है। वह इसलिए क्योंकि राज्य की या दक्षिण की राजनीति के दो बड़े दिग्गज इस बार चुनाव में नहीं हैं। पूर्व मुख्यमंत्रियों जयललिता और करूणानिधि का देहांत हो चुका है और इनकी जगह इस बार क्रमश: मुख्यमंत्री ई. पलानिस्वामी (ईपीएस) और स्टालिन आमने-सामने हैं। पलानिस्वामी एआईएडीएमके तो स्टालिन डीएमके की चुनावी कमान संभाल रहे हैं।हाल ही में आए 'टाइम्स नाउ- सी वोटर' के सर्वे के मुताबिक़, डीएमके की अगुवाई वाले यूपीए को चुनाव में 158 जबकि एनडीए को सिर्फ़ 65 सीटें मिलने का अनुमान है। इसके अलावा राज्य के लोगों ने स्टालिन को मुख्यमंत्री के रूप में पहली पसंद बताया था।
अपनी राय बतायें