उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने के बाद भी योगी सरकार के गठन में इतना वक्त क्यों लग रहा है। क्या बीजेपी को सहयोगी दलों को मनाने में मुश्किलें आ रही हैं।
सीएए के विरोध में प्रदर्शन करने वाले प्रदर्शनकारियों से सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की वसूली के मामले में योगी सरकार को लगी फटकार पर देश के बड़े अखबार आखिर नरम क्यों पड़ गए?
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने पर योगी सरकार ने अपने ही एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के ख़िलाफ़ एसआईटी जाँच गठित क्यों कर दी है? आख़िर मामला क्या है?
बीजेपी ने पंजाब सरकार में 15 मंत्रियों के शामिल करने के थोड़ी देर बाद ही उत्तर प्रदेश में भी मंत्रिमंडल का विस्तार किया है। इससे क्या बीजेपी को अगले विधानसभा चुनाव में कोई मदद मिलेगी?
यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार के पूरे पेज के एक विज्ञापन में कोलकाता के एक फ्लाईओवर की तसवीर को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने जबरदस्त प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने योगी सरकार पर अनूठे ढंग से तंज कसे हैं...
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी सरकार की योजनाओं और कथित उपलब्धियों का प्रचार ऐसे कर रहे हैं, मानो उन्हें अगले साल उत्तर प्रदेश विधानसभा का नहीं बल्कि देश का चुनाव लड़ना है।
उत्तर प्रदेश में छुट्टा पशुओं की समस्या किसानों के लिए मुसीबत बन गई है। खेत ही नहीं, घर के आसपास सब्जी बोने पर भी आफत है। गोरक्षा के नाम पर सरकार की ओर से किए गए बदलावों ने इस मुसीबत को कई गुना बढ़ा दिया है।
कोरोना काल में देश ने इस महामारी का जबरदस्त कहर देखा और सवाल सीधे केंद्र और राज्य सरकारों पर उठे। लेकिन अब इन सवालों से बचने का या अपनी नाकामियों को छुपाने का तरीक़ा सरकारों ने निकाल लिया है।
भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरकार से लेकर संगठन में बदलाव पर गंभीरता से विचार कर रहा है, वहीं प्रदेश के मंत्रियों व दूसर विधायकों से फीडबैक लेने की कवायद भी शुरू हो गई है।
यूपी सरकार 4 साल की ‘उपलब्धियों’ का जश्न मना रही है। करोड़ों रुपये विज्ञापन पर ख़र्च कर। वहीं बाल विकास एवं पोषाहार विभाग के लाखों कर्मचारियों की महीनों से वेतन नहीं मिलने की शिकायतें हैं।