राज्य सरकार के मुख्य प्रवक्ता और अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अविनीश अवस्थी ने मुख्यमंत्री के हवाले से 'ऑपरेशन दुराचारी' के लागू किये जाने की घोषणा की है।
बीते रविवार मुख्यमंत्री ने इसका नाम बदल कर ‘शिवाजी म्यूज़ियज़म’ रख दिया। उनके इस अप्रत्याशित निर्णय पर न सिर्फ़ इतिहास के अकादमिक क्षेत्रों में व्यापक नकारात्मक प्रतिक्रिया हुई है, बल्कि आगरा के सामान्य नागरिकों ने भी इसे ‘बेमतलब की कोशिश’ बताया है।
किसी संग्रहालय का नाम बदलने से ग़ुलाम मानसिकता नहीं जाती, उसके लिए स्वतंत्रता की नई इमारतें, नए प्रतीक खड़े करने होते हैं। मगर योगी का विकृत इतिहासबोध इस दिशा में नहीं सोचता क्योंकि वह तो सत्ता की राजनीति से प्रेरित है और ये देश के लिए बेहद आत्मघाती है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेषण
उत्तर प्रदेश में “आप” के नेता संजय सिंह योगीजी के सामने ताल ठोंकने आ गये हैं जिसके चलते विभिन्न जनपदों में उनपर अब तक सात मुक़दमे दर्ज हो गये हैं । समझ यह बन रही है कि उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण निशाने पर हैं और योगीजी के सजातीय मज़े में हैं । विश्लेषण कर रहे हैं शीतल पी सिंह
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने एक न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि यदि उन्हें मसजिद निर्माण के समय निमंत्रित किया जाता है तो वह इसमें एक योगी होने के नाते भाग नहीं लेंगें। क्या है विवाद?
उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण मतदाताओं में ज़बरदस्त नाराज़गी है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सत्ता में आने के बाद इस समाज को उम्मीद जगी थी कि कुछ बेहतर होगा। अब वे ख़ुद को ठाकुर बनाम ब्राह्मण की लड़ाई में घिरे पा रहे हैं।
यूपी में पिछले चार-पाँच माह में क़रीब पाँच दर्जन ब्राह्मणों की हत्या हो चुकी है। जाहिर है कि इस नाराज़गी का असर यूपी की राजनीति और राजनीतिक दलों पर पड़ना स्वाभाविक है।
उत्तर प्रदेश सरकार को भली भाँति पता है कि निरंतर गिरती आर्थिक दशा और बेरोज़गारी का चढ़ता ग्राफ़ आने वाले समय में सूबे को ऐसे भूचाल में ले जाकर छोड़ेगा, जिसका सामना सिर्फ़ दमन से ही किया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की है कि उन्हीं राज्यों में श्रमिकों को काम करने के लिए वापस भेजा जाएगा जो मज़दूरों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देंगे। क्या वह सच में मज़दूरों के लिए चिंतित हैं?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि यदि कोई दूसरा राज्य उत्तर प्रदेश के लोगों को नौकरी पर रखना चाहता है तो उसे पहले यूपी सरकार से अनुमति लेनी होगी।
उत्तरप्रदेश सरकार ने एक ऐसे अध्यादेश लाने का फ़ेसला किया है जिससे मज़दूरों से उनके बहुत सारे अधिकार छीन लिए जाएंगे जबकि उनसे काम लेने वालों को लूटने की खुली छूट मिल जाएगी। मज़दूरों की हालत सौ साल पहले जैसी हो जाएगी यानी वे दास प्रथा वाले युग में पहुंच जाएंगे। मध्यप्रदेश में भी इसी तरह का फ़ैसला ले लिया गया है। वहाँ शिवराज सिंह ने फैक्ट्री मालिकों को आठ के बजाय 12 घंटे काम लेने का अधिकार दे दिया है।