नोटबंदी में पंक्तिबद्ध लोगों की मौतें से लेकर पिछले साल कोरोना के समय अविवेकपूर्ण लॉकडाउन में सैकड़ों मज़दूरों की मौत, कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीजन, दवाइयों आदि के अभाव में हजारों लोगों की जान चली गई।
यूपी में पंचायत चुनाव बीत चुके हैं। चुनाव का हलाहल गंगा में तैरती लाशों के रूप में प्रकट हो रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऐसे परिवारों को एक करोड़ रुपए मुआवजा देने का सरकार को निर्देश दिया है। क्या योगी इससे परेशान दिख रहे हैं?
यूपी में योगी सरकार के विरोध में क्यों सुर उठाने लगे बीजेपी नेता? नकली रेमडेसिविर मामले में विहिप नेता पर मुक़दमा दर्ज। देखिए दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरों का विश्लेषण। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार के साथ।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। कोरोना संकट के बीच योगी सरकार की बदइंतजामी के बीच अब बीजेपी के नेता ही योगी सरकार के ख़िलाफ़ शिकायतें कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के बदइंतजामों पर आम लोगों की नाराज़गी तो आपने देखी ही, बीजेपी के नेता भी कई बार खुलकर योगी सरकार के ख़िलाफ़ नाराज़गी जता चुके हैं।
पंचायत चुनाव में दुर्गति के बाद योगी के नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं। पूछा जा रहा है कि क्या यूपी बचाने के लिए उनकी कुर्सी किसी और की दी जाएगी? अशोक वानखेड़े, विनोद अग्निहोत्री, विजय त्रिवेदी, शरत प्रधान, वीरेंद्र भट्ट।
उत्तरप्रदेश में ऑक्सीजन, दवाईयों और बेड की कमी से हाहाकार मचा हुआ है और योगी सरकार फेल साबित हो रही है। मगर योगी कमियां दूर करने के बजाय धमकियों का सहारा ले रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (एनएसए) का दुरुपयोग किस तरह करती है और इसके जरिए किस तरह ख़ास समुदाय के लोगों को निशाने पर लेती है, इसे इलाहाबाद हाई कोर्ट के कुछ मामलों से समझा जा सकता है।