दुनिया के जिस कोवैक्स कार्यक्रम के तहत 92 देशों को कोरोना वैक्सीन भेजी जा रही थी उस कोवैक्स कार्यक्रम को वैक्सीन मिल ही नहीं पा रही है। सीरम इंस्टीट्यूट से आख़िर वैक्सीन क्यों नहीं मिल पा रही है?
देश में कोरोना की दूसरी लहर जब तबाही मचा रही थी तो एक के बाद एक कोरोना के नये-नये स्ट्रेन की डराने वाली ख़बरें आ रही थीं।लेकिन अब विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इनमें से सिर्फ़ एक स्ट्रेन ही चिंतित करने वाला है।
भारत की वैक्सीन नीति को लेकर कहा जा रहा है कि इसने दुनिया के कई देशों के सामने एक संकट खड़ा कर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि देश से वैक्सीन के निर्यात पर पाबंदी से उन 91 देश बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
कोरोना का जो नया स्ट्रेन बी.1.617 सबसे पहले भारत में मिला था उसके नाम को लेकर बार-बार उठ रहा विवाद शायद अब ख़त्म हो जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने इसका नाम तय कर दिया है और 'डेल्टा वैरिएंट' नाम दिया है।
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कोरोना वायरस का भारतीय वैरिएंट दुनिया के 44 देशों में फैल चुका है और लगभग हर भौगोलिक क्षेत्र में यह पहुँच चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने इसकी पुष्टि की है।
वैज्ञानिकों ने शोध में दावा किया है कि छोटे कण में भी कोरोना वायरस दूसरों को संक्रमित कर सकता है। यानी कोरोना वायरस सिर्फ़ कोरोना मरीज़ के क़रीबी संपर्क में आने से ही नहीं, बल्कि यह हवा में भी दूर तक संक्रमित कर सकता है।