जहाँ आठ साल से सत्ता में बीजेपी है वहाँ क्या विपक्षी दल की आलोचना की जानी चाहिए? राष्ट्रहित में सवाल सत्ता से किया जाना चाहिए या फिर विपक्ष से? लोकतंत्र का तकाजा क्या कहता है?
क़ानून-व्यवस्था दुरुस्त रखने के दावे कर रही सरकारें दुष्कर्म के अपराध क्यों नहीं रोक पा रही हैं? क्या दुष्कर्मियों को सज़ा मिल रही है? यदि सबकुछ ठीक है तो महिला सुरक्षा के मामले में देश फिसड्डी क्यों है?
देश के प्रधानमंत्री की जो ज़िम्मेदारियाँ हैं और जो वादे वे करते आए हैं क्या वह उन्हें पूरा कर पाए हैं? अब वह डीजल-पेट्रोल के लिए राज्यों पर ज़िम्मेदारी क्यों डाल रहे हैं?
देश को विकास पथ पर लाने के लिए नरसिंहानंदों को नहीं सिंचित क्षेत्रों को दोगुना और तिगुना करना होता है। लेकिन क्या ऐसा हुआ? क्या ऐसी बढ़ोतरी नफ़रती भाषणों में नहीं हुई है?
देश के दो बड़े राज्यों- उत्तर प्रदेश और बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था क्यों चरमराई है? जिस बिहार में नीतीश कुमार 16 साल से मुख्यमंत्री हैं वहाँ अस्पताल इतनी ख़राब हालत में क्यों हैं?
उत्तर प्रदेश की क़रीब 20 करोड़ की आबादी में से 15 करोड़ लोगों को ग़रीबों वाला राशन मिलता है तो इसी प्रदेश के मुख्यमंत्री ने शाही अंदाज में शपथ ग्रहण समारोह पर पैसा क्यों बहाया?
देश में संस्थाएँ क्या अपना ठीक से काम कर रही हैं? क्या रोजगार पर या विदेश मामले में स्पष्ट नीति है? चुनाव आयोग से लेकर क़ानून लागू करने वाली एजेंसियाँ तक अपना दायित्व निभा रही हैं?
ग्रीक दार्शनिक अरस्तू ने कहा था कि “एक व्यक्ति का शासन होने से अच्छा है कि कानून का शासन हो, क्योंकि ऐसा होने से कानून के संरक्षक को भी कानून का पालन करना पड़ता है”।
विपक्षी दल कांग्रेस के नेता राहुल गांधी जब संसद में सरकार के मंसूबे पर सवाल उठा रहे थे तो सत्ता पक्ष की तीखी प्रतिक्रिया क्या दिखाती है? राहुल ने जो सवाल उठाए क्या वे सरकार को परेशान करने वाले नहीं हैं?
बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों ने रेलवे एनटीपीसी की परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर प्रदर्शन किए। लेकिन क्या ऐसे छात्रों के लिए प्रदर्शन या आंदोलन करना इतना आसान है?
‘ब्रह्मकुमारीज’ के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने क्या नागरिक अधिकारों को कम करने या ख़त्म करने का संकेत दिया है? उन्होंने क्यों कहा कि 75 साल हम सिर्फ़ अधिकारों की बात कर अपना समय बर्बाद करते रहे?
2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक के बाद एक वादे करते रहे, लेकिन क्या उनमें से कोई पूरा हुआ? क्या उन्होंने पूरे कार्यकाल अपने 'मन की बात' ही की?