नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल का यह शपथ-ग्रहण समारोह अपने आप में ऐतिहासिक है, क्योंकि यह ऐसा पहला ग़ैर-कांग्रेसी मंत्रिमंडल है, जो अपने पहले पाँच साल पूरे करके दूसरे पाँच साल पूरे करने की शपथ ले रहा है।
कांग्रेस अब एक लोकतांत्रिक पार्टी नहीं, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन चुकी है। यदि राहुल का इस्तीफ़ा हो ही जाता तो बताइए कि क्या यह कंपनी विधवा नहीं हो जाती? इसका बोझ कौन उठाता?
कमल हासन ने कह दिया कि नाथूराम गोडसे भारत का पहला आतंकवादी था। जिसके विचार और कर्म अतिवादी हों, मर्यादाविहीन हों, हिंसक हों, उसे उग्रवादी ही कहा जाएगा लेकिन किसी हत्यारे को आप आतंकवादी कैसे कह सकते हैं?
सर्वोच्च न्यायालय अभी तक तो बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी की याचिका पर विचार कर रहा था लेकिन अब उसने राहुल को अदालत की अवमानना का औपचारिक नोटिस जारी कर दिया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अंग्रेज़ी के सार्वजनिक इस्तेमाल पर वैसा ही प्रहार किया है, जैसा कभी गाँधीजी और लोहियाजी किया करते थे। यदि लोहिया जी भारत के प्रधानमंत्री बनते तो अंग्रेज़ी पर प्रतिबंध लगा देते।
लोकसभा चुनाव से पहले कई नामी-गिरामी उम्मीदवार रातों-रात पार्टियाँ बदल रहे हैं, उनकी चर्चा सुर्खियों में है लेकिन बीजेपी ने अपने जिन वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार किया है, उनकी चर्चा सबसे ज़्यादा है।
चीन अज़हर मसूद को लंबे समय से बचाता आया है। भारत उसे ऐसा करने में नाकाम रहा है। लेकिन भारत इसकी वजह नहीं समझ रहा है, लिहाज़ा, उसे रोकने की कोशिश में नाकाम रहा है।
मोदी ने अपने प्रचार में करोड़ों-अरबों रुपये ख़र्च कर दिए। विदेश-यात्राओं में अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों को मात दे दी और कुल मिलाकर प्रचार मंत्री ही साबित हुए।