प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लद्दाख दौरे को भारत-चीन युद्ध का पूर्वाभ्यास कहना अनुचित होगा। मोदी का लद्दाख पहुंचना चीनी नेतृत्व को यह संदेश देता है कि सीमा विवाद को तूल देना ठीक नहीं होगा।
सरकारी संस्था प्रसार भारती ने कहा है कि पीटीआई राष्ट्र-विरोधी है। वह चीन पर रिपोर्टिंग से नाराज़। पीटीआई को राष्ट्र विरोधी करार देने और धमकाने के पीछे सरकार का क्या मक़सद है?
देश में 45 साल पहले इंदिरा गाँधी आपातकाल लगा चुकी थीं। शास्त्री भवन में बैठे एक मलयाली अफ़सर को दिखाए बिना किसी अख़बार का संपादकीय छप ही नहीं सकता था। बड़े-बड़े तीसरमारखां संपादक नवनीत-लेपन विशारद सिद्ध हो रहे थे।
भारत और चीन के सैनिकों की बीच हुई मुठभेड़ और उसके कारण हताहतों की ख़बर ने देश के कान खड़े कर दिए। इस मुठभेड़ में 20 भारतीय फ़ौजी मारे गए और माना जा रहा है कि चीन के चार या पाँच फ़ौजी मारे गए।
सरकार ने ऐसी घोषणा की है जिसे तालाबंदी का ख़ात्मा भी समझा जा सकता है और जिसे किसी न किसी रूप में तालाबंदी का जारी रहना भी माना जा सकता है। सरकारें और जनता, दोनों दुविधा में पड़े हैं कि अब तालाबंदी हट गई है या जारी है?
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक उच्चाधिकारी ने आग में घी डालने का काम किया है। उसने भारत-चीन सीमा को लेकर ऐसा भड़काऊ बयान दे दिया है कि यदि भारत उस पर अमल करने लगे तो दोनों पड़ोसी देश शीघ्र ही आपस में लड़ मरें।