गुजरात दंगों से जुड़ी जाकिया जाफरी की याचिका को रद्द करने और इसके बाद एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ व सेवानिवृत्त डीजीपी आरबी श्रीकुमार से जुड़े घटनाक्रमों को लेकर कई सवाल खड़े होते हैं।
यूपी इन्वेस्टर्स समिट को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदत्यनाथ ने कहा है कि यूपी निवेशकों का ड्रीम डेस्टिनेशन है। क्या सच में ऐसा है? क़रीब-क़रीब हर सूचकांक में बेहद ख़राब प्रदर्शन करने वाला यूपी क्या बदल रहा है?
जहाँ आठ साल से सत्ता में बीजेपी है वहाँ क्या विपक्षी दल की आलोचना की जानी चाहिए? राष्ट्रहित में सवाल सत्ता से किया जाना चाहिए या फिर विपक्ष से? लोकतंत्र का तकाजा क्या कहता है?
प्रधानमंत्री मोदी स्वयं एक चुने हुए प्रतिनिधि हैं, क्या उन्हे नहीं पता कि जब एक बहुमत की सरकार बनकर तैयार होती है तब जनता अपने प्रधानमंत्री पर किस किस्म का भरोसा जता रही होती है?
हिन्दी के अखबार अब खबरों, सूचनाओं के लिए नहीं बल्कि विज्ञापनों के लिए छापे जा रहे हैं और पाठक उसे पढ़ रहे हैं। विज्ञापनों की लालच ने हिन्दी अखबारों के संपादकों को बौना बना दिया है। बहुत अजीबोगरीब हालात हैं। आखिर पाठक कब समझदार होंगे।
क़ानून-व्यवस्था दुरुस्त रखने के दावे कर रही सरकारें दुष्कर्म के अपराध क्यों नहीं रोक पा रही हैं? क्या दुष्कर्मियों को सज़ा मिल रही है? यदि सबकुछ ठीक है तो महिला सुरक्षा के मामले में देश फिसड्डी क्यों है?
देश के प्रधानमंत्री की जो ज़िम्मेदारियाँ हैं और जो वादे वे करते आए हैं क्या वह उन्हें पूरा कर पाए हैं? अब वह डीजल-पेट्रोल के लिए राज्यों पर ज़िम्मेदारी क्यों डाल रहे हैं?
देश को विकास पथ पर लाने के लिए नरसिंहानंदों को नहीं सिंचित क्षेत्रों को दोगुना और तिगुना करना होता है। लेकिन क्या ऐसा हुआ? क्या ऐसी बढ़ोतरी नफ़रती भाषणों में नहीं हुई है?
देश के दो बड़े राज्यों- उत्तर प्रदेश और बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था क्यों चरमराई है? जिस बिहार में नीतीश कुमार 16 साल से मुख्यमंत्री हैं वहाँ अस्पताल इतनी ख़राब हालत में क्यों हैं?
उत्तर प्रदेश की क़रीब 20 करोड़ की आबादी में से 15 करोड़ लोगों को ग़रीबों वाला राशन मिलता है तो इसी प्रदेश के मुख्यमंत्री ने शाही अंदाज में शपथ ग्रहण समारोह पर पैसा क्यों बहाया?
महात्मा गांधी ने हमेशा हिंदू-मुसलिम एकता की वकालत की। इसी वजह से उनको अपनी जान गँवानी पड़ी। लेकिन गांधी के सपने को क्या सांप्रदायिक नफ़रत से तोड़ने की कोशिश की जा रही है? द कश्मीर फाइल्स फिल्म को कैसे देखा जाएगा?
पांच राज्यों के चुनाव नतीजे आए तो पता चला कि तमाम गंभीर मुद्दे गौण हो गए और जनता ने भावनाओं में बहकर मतदान किया। लेकिन क्या इससे वो मुद्दे खत्म हो गए। जानिए ये सब क्यों हुआ।