यूपी सरकार विदेशी निवेश का जोरशोर से प्रचार कर रही थी। लेकिन जो तथ्य आ रहे हैं, उससे पता चलता है कि सरकार ने ऑस्टिन यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू के जो तथ्य बताए थे, अब वो उससे खुद ही पलट गई है। लेकिन ऐसा पत्रकारों की जागरुकता से हुआ, जिन्होंने इसकी असलियत बताई है। पढ़िए पूरी रिपोर्टः
यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने बुधवार शाम को योगी कैबिनेट के मंत्रियों को राजभवन में बुलाकर उनसे अलग-अलग मुलाकात की। इससे तमाम राजनीतिक चर्चाओं ने जन्म ले लिया है।
सुप्रीम कोर्ट यूपी सरकार और इलाहाबाद हाईकोर्ट को अंडर ट्रायल यानी विचाराधीन कैदियों को बेल दिए जाने के मामले में लगातार चेतावनी दे रहा है। अब उसने कहा है कि दस वाले विचाराधीन कैदियों को जमानत दी जाए, वरना ऐसे मामलों को हम सीधे देखेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा, जानिए इस रिपोर्ट से।
ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ मामले क्या इतने बड़े हैं कि आईपीएस अधिकारियों की विशेष जाँच दल यानी एसआईटी गठित की जाए? नूपुर शर्मा, महंत बजरंग मुनि मामले में भी कुछ ऐसा हुआ क्या?
क्या अब मुफ्त राशन या फिर रियायती दरों पर राशन पाने वाले परिवारों की बड़े पैमाने पर कटौती की जाएगी? क्या अब राशन के लिए नयी पात्रता योग्यता तय की गई है?
उत्तर प्रदेश की क़रीब 20 करोड़ की आबादी में से 15 करोड़ लोगों को ग़रीबों वाला राशन मिलता है तो इसी प्रदेश के मुख्यमंत्री ने शाही अंदाज में शपथ ग्रहण समारोह पर पैसा क्यों बहाया?
यूपी में योगी आदित्यनाथ का मंत्रिमंडल क्षेत्रीय, जातीय समीकरण का जबरदस्त संतुलन है। चुनाव हारने के बावजूद केशव प्रसाद मौर्य को फिर से डिप्टी सीएम बनाना बीजेपी की महत्वपूर्ण ऱणनीति का हिस्सा है।
विकास, इक्विटी और स्थिरता या टिकाऊपन के आधार पर तैयार इंडेक्स में उत्तर प्रदेश बड़े राज्यों में सबसे निचले पायदान क्यों है? फिर नंबर वन का दावा क्यों किया जाता है?
उत्तर प्रदेश में एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के इस्तेमाल पर सवाल उठते रहे हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 120 मामलों में से 94 मामलों को खारिज कर दिया और हिरासत में लिए गए आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया।
उत्तर प्रदेश के कानपुर में तीन पत्रकारों पर इसलिए एफ़आईआर दर्ज की गई है क्योंकि उन्होंने ठंड में ठिठुरते स्कूली बच्चों से योगा कराने पर एक ख़बर प्रकाशित की थी।
उत्तर प्रदेश में कथित 'लव जिहाद' के इतने मामले क्यों आने लगे हैं? उन मामलों में भी जिनमें संबंधित परिवारों को पता नहीं होता फिर भी 'लव जिहाद' सामने आ जाता है।
उत्तर प्रदेश में 'लव जिहाद' यानी ग़ैरक़ानूनी धर्मांतरण क़ानून के दो अलग-अलग चेहरे दिखने लगे हैं। इस क़ानून के बाद 12 घंटे के अंतराल में दो केस दर्ज कराए गए। एक केस में लड़के को जेल भेजा और लड़की को अलग कर सरकार के संरक्षण में रखा गया।