फ़र्ज़ी तरीक़े से अपने चैनल के लिए टीआरपी बटोरने के आरोपों से घिरे अर्णब गोस्वामी की अगुआई वाले रिपब्लिक टीवी ने मुंबई पुलिस के जवानों में ‘विद्रोह’ की स्थिति बनने की ख़बर चलाई थी। ऐसे में क्या कार्रवाई होनी चाहिए?
मुंबई पुलिस ने जब प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर दावा किया कि उसने 'टीआरपी घोटाले' का भंडाफोड़ किया है और उसमें रिपब्लिक सहित तीन चैनलों के नाम लिए तो टीवी की दुनिया में हंगामा मच गया? सवाल उठा यह टीआरपी घोटाला क्या है? इसे किसने पैदा किया या मजबूरी क्या है?
टीआरपी स्कैम में अब दो और टीवी चैनलों का नाम आ सकता है। मुंबई पुलिस अब उनकी छानबीन कर रही है। टीआरपी में गड़बड़ी की जाँच के सिलसिले में गिरफ़्तार किए गए दो लोगों ने माना है कि उन्हें उन दोनों चैनलों से पैसे दिए गए थे।
क्या केंद्र ने अर्नब गोस्वामी को बचाने के लिए ये चाल चली है? मुंबई पुलिस टीआरपी घोटाले की जाँच कर रही है, मगर अचानक उत्तरप्रदेश में एक और एफआईआर दर्ज़ की गई और फौरन उसकी जाँच सीबीआई को सौंप दी गई। क्या इसका मक़सद रिपब्लिक टीवी और उसके सर्वेसर्वा अर्नब गोस्वामी को बचाना है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में टीआरपी घोटाला का जाल फैले होने और वहाँ पुलिस में शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद अब केंद्रीय जाँच ब्यूरो इस मामले की जाँच करेगी। सीबीआई ने मामला दर्ज कर लिया है।
टीआरपी में घपला करने का आरोप झेल रही रिपब्लिक टीवी के सलाहकार संपादक प्रदीप भंडारी को पुलिस ने शनिवार को हिरासत में लेने और लंबी पूछताछ के बाद रिहा कर दिया है।
हालिया टीआरपी घोटाले के मद्देनज़र ब्रॉडकास्टिंग ऑडिएंस रिसर्च कौंसिल यानी बार्क ने दो से तीन महीने तक के लिए न्यूज़ चैनलों की टीआरपी न देने का एलान किया है। क्या सिर्फ़ इसी से रेटिंग प्रणाली में सुधार हो जाएगा?
रेटिंग एजेंसी बार्क ने तीन महींने के लिये रेटिंग बंद कर दी है! तो टीवी की सारी गंदगी ख़त्म? अकेले अर्णब ही ज़िम्मेदार? बाकी सब दूध के धुले? आशुतोष के साथ चर्चा में हैं- आलोक जोशी, विजय त्रिवेदी, विनोद कापड़ी, तस्लीम ख़ान, मनीषा पांडे।
टीआरपी स्कैम के मामले में रिपब्लिक टीवी को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने चैनल से कहा कि 'जाँच का सामना कर रहे आम नागरिक की तरह' आप भी बॉम्बे हाईकोर्ट जाइए।
टीवी चैनलों ने विज्ञापनों के ज़रिए धन कमाने के उद्देश्य से ही अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए उस बड़े फ़र्जीवाड़े को अंजाम दिया होगा जिसका कि हाल ही में मुंबई पुलिस ने भांडाफोड़ किया है? यह केवल चैनलों द्वारा अपनी टीआरपी बढ़ाने तक सीमित नहीं है।
बजाज कंपनी के बाद पारले कंपनी की ओर से भी ज़हरीले न्यूज़ चैनलों के बहिष्कार की घोषणा को एक अप्रत्याशित और सुखद क़दम के तौर पर लिया जा रहा है। सोशल मीडिया पर व्यक्त की जा रही टिप्पणियों में इसे देखा जा सकता है।
बॉलीवुड में नशे का जाल तलाश रहा मीडिया खुद ऐसे जाल में फंसता जा रहा है, जिसके बल पर कुछ चैनल अपने आपको नंबर वन होने और सबसे ज्यादा देखे जाने का दावा करते हैं।