त्रिपुरा में हाल ही में हुई हिंसा और पत्रकारों पर की गई कार्रवाई के मामले की जांच चौंकाने वाली है। एडीटर्स गिल्ड आफ इंडिया की टीम ने वहां जाकर सारे मामले की जांच की। गिल्ड की रिपोर्ट जारी कर दी गई है। गिल्ड ने साफ कहा है कि वहां पत्रकारों पर पुलिस दमन सरकार के इशारे पर हुआ।
त्रिपुरा पुलिस अब हिंसा को लेकर ट्वीट और फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट के लिए यूएपीए का सामना कर रहे पत्रकार और वकीलों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं कर सकती है? जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा।
त्रिपुरा पुलिस ने पानीसागर की एक मसजिद की कुछ तसवीरें साझा करते हुए दावा किया है कि मसजिद में आगजनी नहीं हुई, लेकिन क्या सच में किसी मसजिद में आगजनी नहीं हुई? जानिए पुलिस का दावा कितना सच है।
त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा की आंच महाराष्ट्र तक पहुंच गई है। सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर बहस हो रही है। इससे जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई करने जा रहा है।
त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट्स करने पर एफ़आईआर दर्ज कर यूएपीए लगा दिया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगा।