लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी तीन तलाक़ विधेयक पारित कर दिया गया है। लेकिन इसमें तलाक़ देने वाले मुसलिम पति को तीन साल के लिए जेल भेजने का प्रावधान बरक़रार है। देखिए सत्य हिन्दी के लिए आशुतोष की बात।
तीन तलाक़ बिल राज्यसभा से पास। उन्नाव रेप केस: पीड़िता के चाचा को एक दिन की परोल।कर्नाटक: टीपू सुल्तान जयंती मनाने पर लगी रोक। सीसीडी के मालिक सिद्धार्थ अचानक ग़ायब। सत्य हिंदी न्यूज़
हज़ार साल या उससे भी ज़्यादा समय से चली आ रही किसी सामाजिक बुराई को एक क़ानून बनाकर दो-चार साल में ख़त्म करने के सपने देखना कोई बहुत बड़ी अक़्लमंदी का काम तो नहीं है।
लोकसभा ने एक बार फिर तीन तलाक़ बिल पारित कर दिया। सरकार ने इसे बग़ैर किसी संशोधन के पेश किया था, यह जानते हुए कि इसे राज्यसभा में पारित कराने लायक बहुमत इसके पास नहीं है। इस मुद्दे पर देखें वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण जो उन्होंने 21 जून 2019 को सत्य हिन्दी के लिए किया था।
प्राची: मुसलमानों की बनाई काँवड़ का करें बहिष्कार। पीएम को ख़त लिखने वालों को बताया ‘अवॉर्ड वापसी-2’। स्वरा भास्कर: महामारी बन चुकी है मॉब लिन्चिंग। सत्य हिंदी न्यूज़ बुलेटिन
लोकसभा में तीन तलाक़ बिल पास हो गया। एनडीए में सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने बिल का पुरजोर विरोध किया। पर सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं, यह लाज़िमी भी है।
तीन तलाक़ विधेयक के लोकसभा में पारित होने के बाद एक बार फिर मुसलिम समाज में एक साथ तीन तलाक़ देने की प्रथा और महिलाओं के अधिकारों को लेकर बहस छिड़ गई है।
तीन तलाक़ विधेयक पर जब लोकसभा में चर्चा चल रही थी तो सदन के बाहर कई लोग ऐसे भी हैं जो महिलाओं को तलाक़ का हक़ देने की बात कर रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या महिलाओं को भी यह अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए?
भारत में भले ही एक साथ तीन तलाक़ के ख़िलाफ़ विधेयक पर हंगामा मचा है, लेकिन दुनिया के कई देशों में इस पर पूरी तरह प्रतिबंध है। भारत में क़ानून के कुछ प्रावधानों को लेकर आपत्ति है, तो दूसरे देशों में क्यों नहीं आईं आपत्तियाँ?
विपक्ष के लिए ‘महामिलावटी गठबंधन’ और ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का नारा देने वाले प्रधानमंत्री मोदी आज एकाएक सक्रिय विपक्ष की ज़रूरत क्यों बताने लगे? कहीं सरकार को विपक्ष का साथ तो नहीं चाहिए?