लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी तीन तलाक़ विधेयक पारित कर दिया गया है। लेकिन इसमें तलाक़ देने वाले मुसलिम पति को तीन साल के लिए जेल भेजने का प्रावधान बरक़रार है। देखिए सत्य हिन्दी के लिए आशुतोष की बात।
लोकसभा ने एक बार फिर तीन तलाक़ बिल पारित कर दिया। सरकार ने इसे बग़ैर किसी संशोधन के पेश किया था, यह जानते हुए कि इसे राज्यसभा में पारित कराने लायक बहुमत इसके पास नहीं है। इस मुद्दे पर देखें वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण जो उन्होंने 21 जून 2019 को सत्य हिन्दी के लिए किया था।
लोकसभा में तीन तलाक़ बिल पास हो गया। एनडीए में सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने बिल का पुरजोर विरोध किया। पर सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं, यह लाज़िमी भी है।