संसद में सवाल पूछने के बदले कथित पैसे लेने और संसदीय लॉगइन क्रेडेंशियल दर्शन हीरानंदानी को देने के आरोपों पर टीएमसी ने कार्रवाई करने की बात कही है। जानिए, इसने क्या कहा।
पहले बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और फिर दर्शन हीरानंदानी द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद आख़िर महुआ मोइत्रा को लेकर टीएमसी से कुछ भी बयान क्यों नहीं आ रहा है? जानिए, बीजेपी ने क्या आरोप लगाया।
विपक्षी गठबंधन इंडिया एकजुट तो नजर आया लेकिन मुंबई में हुए कुछ घटनाक्रमों को नजरन्दाज नहीं किया जा सकता। इंडियन एक्सप्रेस ने इस पर एक विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की है।
क्या पश्चिम बंगाल की ममता सरकार पर कुछ ख़तरा है? ऐसा नहीं है तो फिर बीजेपी सांसद क्यों कह रहे हैं कि पाँच माह में सरकार गिर जाएगी? जानें टीएमसी ने क्या जवाब दिया।
पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में ममता बनर्जी की टीएमसी ने बड़ी जीत दर्ज की है। बंगाल में भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया था लेकिन वो दूसरे नंबर पर रही। बंगाल में भाजपा के लिए इसे सही संकेत नहीं माना जा रहा है।
पश्चिम बंगाल में हुए पंचायत चुनाव में वोटो की गिनती जारी है। अभी तक जो नतीजे आए हैं, उससे लगता है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी भारी जीत की ओर बढ़ रही है।
पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में कांग्रेस और टीएमसी कार्यकर्ताओं में सीधे टकराव की खबरें हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आज शनिवार को राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी किया। ऐसे में ममता बनर्जी के 23 जून की विपक्षी दलों की बैठक में जाने पर तमाम सवाल उठ रहे हैं।
नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को पीएम मोदी और लोकसभा स्पीकर करेंगे लेकिन देश के 19 राजनीतिक दलों ने इसके बहिष्कार की घोषणा कर दी है। लेकिन इसी के साथ यह जानना जरूरी है कि नया संसद भवन और इसके पीछे और क्या विवाद रहे। क्या वाकई नए संसद भवन की जरूरत है।
क्या ममता बनर्जी ने टीएमसी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस दिलाने के लिए अमित शाह को फ़ोन किया था। जानिए, बीजेपी नेता के दावे पर ममता बनर्जी ने क्या कहा।
बंगाल के दिग्गज टीएमसी नेता दिल्ली में दिखाई दे गए हैं और उन्होंने बयान दिया है कि वो वापस बीजेपी में आना चाहते हैं। दिल्ली में वो अमित शाह से मिलने आए हैं। लेकिन कोलकाता में नाटक चल रहा है। रॉय के बेटे ने अपने पिता को बेहद बीमार बताया और बीजेपी पर उन्हें इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
बंगाल और महाराष्ट्र की बोली, संस्कृति बेशक अलग-अलग हैं लेकिन दोनों राज्यों के दो नेताओं मुकुल रॉय और अजीत पवार की राजनीतिक मजबूरियां एक जैसी हैं और इसीलिए दोनों जब तब अपनी मूल पार्टी से बेवफाई करते रहते हैं।