क्या चुनाव में हार और साझा सरकार के दबाव ने मोदी को बदलने के लिए मजबूर किया है? क्या उन्होंने अहंकार और बदले की भावना छोड़ी है? क्या उन्होंने और उनकी पार्टी ने मुसलमानों को टारगेट बनाना कम किया है? प्रो. मुकेश कुमार के साथ चर्चा मेंं हिस्सा ले रहे हैं-श्रवण गर्ग, प्रो. अपूर्वानंद और क़ुरबान अली-
यूपी विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव योगी के लिए भारी पड़ सकते हैं? अगर इस बार भी बीजेपी का प्रदर्शन ख़राब रहा तो उनको हटाने की मुहिम तेज़ हो जाएगी? राहुल अखिलेश की जोड़ी को भी साबित करना होगा कि लोकसभा चुनाव में मिली असाधारण सफलता तुक्का नहीं थी?
आख़िर संघ एकदम से मोदी पर ही क्यों टूट पड़ा है? उसे दूसरे बीजेपी नेताओं का अहंकार क्यों नहीं दिख रहा? वह अभी तक क्यों चुप रहा था? क्या संघ मोदी के लिए कोई बिसात बिछा रहा है?
संघ प्रमुख भागवत ने मोदी पर तीखे हमले क्यों किए? उन्हें परोक्ष रूप से अहंकारी, झूठा और समाज को बाँटने वाला क्यों बताया? आख़िर क्या है उनका सीक्रेट प्लान?
चुनाव नतीजों में ऐसा क्या है कि महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है? क्या शिंदे और अजीत पवार के विधायक अपनी पुरानी पार्टियों में लौटने वाले हैं? आख़िर शरद पवार ऐसा क्या कर रहे हैं कि मोदी-शाह को बड़ा झटका लग सकता है?
उत्तरप्रदेश में किसको कितनी सीटें मिल सकती हैं? क्या बीजेपी पचास के नीचे जा रही है? अगर ऐसा हुआ तो फिर दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी? क्या फिर भी मोदी सरकार बना लेंगे या खुल जाएगा इंडिया का रास्ता? पाँच वरिष्ठ पत्रकारों के आँकड़े-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतने निम्न स्तरीय बयान क्यों दे रहे हैं? क्या उन्हें इंडिया का उभार डराने लगा है? उनके बयानों से बीजेपी को फ़ायदा होगा या नुक़सान?
मोदी बार-बार अपने बयानों से पलट क्यों रहे हैं? इस यू टर्न के क्या हैं मायने? क्या वे हार के डर से ऐसा कर रहे हैं? कहीं जान-बूझकर भ्रम तो पैदा नहीं कर रहे मोदी?
मोदी को क्या हार का डर सताने लगा है? उनकी भाषा इतनी ज़हरीली क्यों होती जा रही है? वे मुसलमान से लेकर पाकिस्तान तक की बात क्यों कर रहे हैं? अगर इससे भी बात न बनी तो वे क्या करेंगे?
यूपी में किसकी हवा है कौन से मुद्दे चल रहे हैं? ऐसा क्यों है कि बीजेपी को कोई 40 सीटें दे रहा है तो कोई 70? आख़िर यूपी की नब्ज़ कोई क्यों नहीं पकड़ पा रहा है? देखिए विशेषज्ञों का आकलन-
सत्य नायक उड़ीसा के ख्यातिलब्ध पत्रकार हैं । इस राज्य में बीजेपी को इस बार पहले से बेहतर नतीजों की उम्मीद है । यहाँ तक कि वह राज्य सरकार पर भी क़ाबिज़ होने की दावेदार है क्योंकि विधानसभा चुनाव साथ साथ हो रहे हैं
चुनाव में कोई लहर क्यों नहीं दिख रही? क्या कोई अंडर करंट है जिसे कोई पढ़ नहीं पा रहा? अगर ये बिना लहर का चुनाव हुआ तो क्या होगा? किसको नुक़सान और किसको फ़ायदा होगा?