एनबीए ने टीआरपी देने वाली एजेंसी बार्क से टीवी 9 भारतवर्ष के ख़िलाफ़ शिकायत की है कि उसने ग़लत तरीक़ों से टीआरपी बढ़ाई है और उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाए। लेकिन क्या सचमुच में ऐसा है या फिर ये शिकायत टीवी 9 भारतवर्ष की वज़ह से नीचे फ़िसले न्यूज़ चैनलों की टुच्ची लड़ाई का हिस्सा है? पेश है वरिष्ठ पत्रकार और मीडिया विशेषज्ञ मुकेश कुमार की रिपोर्ट
चाबहार रेल प्रोजेक्ट का हाथ से निकलना भारतीय कूटनीति के लिए एक बड़ा झटका है। मगर ये झटका किसने दिया और भारत के लिए इसका क्या मतलब है? बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार
ऊपर से देखने पर लगता है कि सचिन पॉयलट मुख्यमंत्री न बनाए जाने से नाराज़ हैं और इसीलिए वे बग़ावत पर उतर आए, मगर सचाई ये भी है कि वे बीजेपी के बिछाए जाल में फँस गए और उसका खेल खेलने लगे। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
संदेह व्यक्त किए जा रहे हैं कि उत्तरप्रदेश पुलिस ने गैंगस्टर विकास दुबे को फर्ज़ी एनकाउंटर में मार डाला है। सवाल उठता है कि उसे मारा गया है तो क्यों? उसकी मौत से किसको फ़ायदा होगा और क्या इस तरह से बिना न्यायिक प्रक्रिया के किसी को मारना उचित है? पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
सरकार ने गाँधी परिवार से जुड़े तीन ट्रस्टों की जाँच के आदेश दे दिए हैं। सवाल उठता है कि उसके इस आदेश के राजनीतिक मायने क्या हैं? क्या वह गाँधी परिवार को धमकाना चाहती है और अगर ऐसा है तो इसके क्या नतीजे निकल सकते हैं? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट-
गलवान घाटी से भारतीय और चीनी सेना पीछे हट रही हैं, मगर शक़-शुबहे बने हुए हैं। वे सवाल भी उठ रहे हैं कि दोनों देशों के बीच सहमति किन बिंदुओं पर बनी है और वह किसके पक्ष में झुकी हुई । एक सवाल ये भी है क्या स्थायी शांति के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से सीधी बात नहीं करनी चाहिए? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
ताज़ा जनमत सर्वेक्षण बताते हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनल्ड ट्रम्प अपने प्रतिद्वंदवी जो बाइडेन से लगातार पिछड़ते जा रहे हैं। लेकिन चुनाव को अभी चार महीने बाक़ी हैं और ट्रम्प अपनी तरफ से ज़बरदस्त कोशिशें कर रहे हैं। क्या उनकी कोशिशें रंग ला सकती हैं? पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेषण
केंद्र सरकार के तहत काम करने वाले आईसीएमआर वैज्ञानिकों पर दबाव डाल रहा है कि आगामी 15 अगस्त तक कोरोना महामारी यानी कोविड 19 टीका बन जाना चाहिए। क्या वह ऐसा राजनीतिक दबाव में कर रहा है और इसके क्या नतीजे निकल सकते हैं बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार
ये पहली बार है कि संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने बयान जारी करके कहा है नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ आंदोलन करने वालों को तुरंत रिहा किया जाए। विशेषज्ञों का स्पष्ट कहना है कि उनके अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने एक तरह से मोदी सरकार को दोषी करार दिया है। पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
पीएमओ की सफ़ाई के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान से उपजा विवाद थमा नहीं है, बल्कि और बढ़ गया है। लेकिन इससे भी ज़्यादा चिंता की बात ये है कि मोदी के बयान ने चीन की आक्रामकता को और भी बढ़ा दिया है और इसके बहुत घातक नतीजे निकल सकते हैं। पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेष्ण
चीन की हरकतों ने देश भर में रोष भर दिया है और चीनी माल के बहिष्कार का अभियान तेज़ हो गया है। कई जगह चीनी सामान नष्ट भी किया गया है। मगर इस अभियान के पीछे एक राजनीतिक एजेंडा भी काम कर रहा है। क्या है ये राजनीतिक एजेंडा और कौन है इसके पीछे बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार
चीन बहुत आक्रामक ढंग से प्रचार युद्ध लड़ रहा है। चाहे भारतीय भूमि पर कब्ज़े का मामला हो या फिर बीस से ज़्यादा सैनिकों की हत्या का, वह बार-बार यही जताने की कोशिश कर रहा है कि ग़लती भारत की है। भारत सरकार इसका जवाब किस तरह से दे रही है, प्रचार युद्ध के मोर्चे पर उसका प्रदर्शन कैसा है, बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत-चीन सीमा विवाद पर लगातार खामोश हैं। वे साठ किलोमीटर भूमि पर कब्ज़ा कर लिए जाने के बाद भी चुप रहे और अब बीस सैनिकों के शहीद होने पर उन्होंने चुप्पी तो तोड़ी मगर ख़ूनी झड़प पर कुछ नहीं बोले। उनकी चुप्पी से संदेह और अविश्वास का वातावरण बन रहा है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
भारत सरकार ने नेपाल से लिपुलेख सीमा विवाद पर बातचीत के संकेत तो दिए हैं, मगर बहुत देर से। ये देरी मोदी सरकार की अहंकार एवं उपेक्षा की वज़ह से हुई है और इसने नेपाल को इतना दूर कर दिया है कि अब दोनों देश शत्रुओं की तरह आमने-सामने खड़े नज़र आ रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
मोदी सरकार ने पीएम केयर्स फंड की जाँच एक स्वतंत्र एजंसी से कराने की बात कही थी, लेकिन इसके लिए जिस कंपनी को नियुक्त किया गया है उसके बीजेपी और संघ से करीबी संबंध हैं। ऐसे में ये संदेह और गहरे हो गए हैं कि सरकार सचमुच में जाँच करवाना चाहती है या फिर गड़बड़ियों को छिपाना। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।