फ्रांस के बाद अब वियना में हुए आतंकवादी हमले के क्या हैं मायने? क्या इस्लामी कट्टरपंथी पूरे यूरोप में हिंसा फैला रहे हैं? और अगर ऐसा है तो इसके क्या नतीजे निकल सकते हैं?
नौकरियों के वादे को बोगस बताकर नीतीश ने क्या एक और ग़लती नहीं कर ली है? क्या जेडीयू और बीजेपी दोनों को इससे नुक़सान नहीं होगा? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
नीतीश कुमार से लेकर नरेंद्र मोदी तक तेजस्वी पर निजी हमले पर क्यों उतर आए हैं? क्या तेजस्वी की बढ़ती लोकप्रियता ने उन्हें आतंकित कर दिया है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
मतदाताओं को लुभाने के लिए पार्टियाँ आसमान से तारे तोड़ लाने की बातें भी कर देती हैं, मगर जो पार्टी केंद्र में सत्तारूढ़ हो, क्या उसे ऐसा वादा करना चाहिए, जिसमें भेदभाव प्रकट होता हो? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट''
अमरिंदर सरकार ने कृषि कानूनों की काट को तौर पर विधानसभा में तीन विधेयक पेश करके मोदी सरकार के ख़िलाफ़ जंग का ऐलान कर दिया है। इस टकराव का अंजाम क्या होगा क्या? दूसरे राज्य भी यही रास्ता अख़्तियार करेंगे? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट। Satya Hindi
जेडीयू बीजेपी पर एलजेपी से अवैध रिश्ते रखने का आरोप लगा रही है। बीजेपी इससे इंकार कर रही है, मगर एलजेपी के चिराग पासवान कह रहे हैं कि बीजेपी से मेरे जनम जनम के रिश्ते हैं। क्या है इस रिश्ते का सच? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
टीआरपी घोटाले के भंडाफोड़ होने के बाद से टीआरपी और भी संदिग्ध हो गई है। ऐसे में बार्क के सामने चुनौती है कि वह रेटिंग सिस्टम को ठीक करे। लेकिन वह क्या कर सकता है और क्या उससे दर्शकों को कोई फ़ायदा होगा? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट। Satya Hindi
व्यापक विरोध को देखते हुए तनिष्क ने स्वर्ण आभूषणों का अपना विज्ञापन रोक दिया है, लेकिन क्या उसने ऐसा करके सही किया है? क्या उसे विरोधियों के सामने इस तरह से घुटने टेक देने चाहिए थे? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
दो बड़े कार्पोरेट के नफ़रत फैलाने वाले चैनलों का बहिष्कार करने से क्या हेट स्पीच पर लगाम लगाई जा सकेगी? क्या और कंपनियाँ इस अभियान में उनके साथ खड़ी होंगी? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
टीआरपीखोर चैनलों ने टीआरपी के लिए हर तरह के धतकरम किए हैं। रिपब्लिक टीवी द्वारा टीआरपी खरीदने का हथकंडा उनमें से एक है। अर्नब गोस्वामी के रिपब्लिक टीवी पर टीआरपी खरीदने के आरोप लग रहे हैं। चैनलों पर इस तरह के आरोप पहले भी लगते रहे हैं। फिर टीआरपी के लिए चैनलों ने जिस तरह से न्यूज़ के साथ खिलवाड़ किया है उसके लिए वे खुद को सही कैसे ठहरा सकते हैं? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
ये सवाल कितना जायज़ है कि दूसरे राज्यों में होने वाले बलात्कार पर वैसा हंगामा क्यों नहीं हो रहा जैसा हाथरस काँड को लेकर किया जा रहा है? इसके पीछे यूपी सरकार को लेकर कोई पूर्वाग्रह है या फिर इस तर्क को ध्यान बँटाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।Satya Hindi
अट्ठाईस साल बाद बाबरी मस्जिद को ढहाने वाले मामले के सभी अभियुक्त बरी हो गए हैं। ये उनके और उनके समर्थकों के लिए खुशी की बात हो सकती है, मगर क्या ये न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता के लिए सही है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
किसानों में मोदी सरकार से मोहभंग बहुत पहले शुरू हो गया था। तीन कृषि विधेयकों ने उसे और बढ़ा दिया है और अब ये राष्ट्रीय रूप ले चुका है। ज़ाहिर है अब मोदी के लिए किसानों को मनाना बहुत मुश्किल होगा। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के राजनीतिकरण के बाद से बॉलिवुड लगातार निशाने पर है। एक तरफ तो उसे ड्रग्स तथा अपराधों का अड्डा बताया जा रहा है और दूसरी ओर कंगना रानौत, पायल घोष जैसे लोग चुन-चुनकर फिल्मी हस्तियों पर हमले कर रहे हैं। क्या इसके पीछे कोई एजेंडा है और अगर है तो वह क्या है? पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट। Satya Hindi