मोहन भगवत एकदम से क्रांतिकारी क्यों हो रहे हैं? वे क्यों कह रहे हैं कि धर्मग्रंथों की समीक्षा होना चाहिए? वे जाति-व्यवस्था का विरोध क्यों कर रहे हैं? वे क्यों कह रहे हैं कि ऊँच-नीच पंडितों ने बनाई? क्या वे दलितों और पिछड़ों को बहला रहे हैं या सचमुच में हिंदू धर्म में सुधार की पेशकश कर रहे हैं? क्या उनकी इस पेशकश से कुछ बदल सकता है? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं- शीबा असलम फ़हमी, डॉ. सुनीलम, राम कृपाल सिंह, डॉ. रविकांत-