क्या मोदी सरकार विपक्षी नेताओं के फोन की जासूसी करवा रही है? क्या इसका मक़सद उनके फोन में ग़लत सामग्री प्लांट करना है ताकि उन्हें फँसाया जा सके? क्या सरकार पेगासस के अलावा दूसरे स्पाईवेयर भी अपने विरोधियों को निपटाने के लिए इस्तेमाल कर रही है? क्या मोदी अडानी को बचाने के लिए ऐसा कर रहे हैं? क्या चुनाव के पहले वे विपक्ष को फँसाने की साज़िश रच रहे हैं?
विधानसभा चुनावों के बाद राजनीति और वीभत्स होगी। मोदी सरकार बदले की राजनीति करेगी। इंडिया गठबंधन को चुनाव बाद खुद को संगठित करके विवादों को निपटाना होगा। मोदी विदेश नीति का इस्तेमाल अपनी छवि चमकाने के लिए कर रहे हैं और इससे देश का नुक़सान हो रहा है। पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा से डॉ. मुकेश कुमार की बातचीत-
राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की दूसरी सूची क्या कहती है? क्या मोदी-शाह को वसुंधरा राजे के सामने झुकना पड़ा है? क्या वसुंधरा इससे संतुष्ट हो जाएंगी? डॉ . मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं– राजेश बादल, विजय विद्रोही, अनिल शर्मा, ओम सैनी, सतीश के सिंह
क्या महुआ मोइत्रा मोदी के बिछाए जाल में फँस गई हैं? क्या दर्शन हीरानंदानी के हलफ़नामे के साथ उनके बचने के रास्ते बंद हो गए हैं? क्या हीरानंदानी ने पीएमओ के दबाव में हलफ़नामा दिया है? अब उनकी संसद सदस्यता जाना तय है? क्या मोदी सरकार उन्हें किसी आपराधिक मामले में फँसाकर जेल भी भेजेगी? क्या करेंगी महुआ, समर्पण या संघर्ष?
अरब मुल्क अमेरिका-इज़रायल के सामने क्यों लाचार हैं? वे फिलिस्तीनियों की लड़ाई क्यों नहीं लड़ पा रहे? पीड़ितों तक मदद पहुँचाने तक में वे क्यों नाकाम हो रहे हैं? क्या उनके पास इज़रायल जैसा पक्का इरादा नहीं है? क्या वे अमेरिका और पश्चिमी देशों के गुलाम हैं?
क्या मोदी सरकार अब महुआ मोइत्रा को जेल भेजने की तैयारी कर रही है? क्या उन्हें इसलिए निशाने पर लिया गया है क्योंकि वो अडानी पर लगातार हमले बोलकर मोदी के लिए धर्मसंकट खड़े कर रही थीं? क्या महुआ पर लगाए आरोपों में किसी तरह का दम है? क्या करेंगी अब महुआ मोइत्रा? चुप बैठ जाएंगी या जेल जाने की तैयाकी करेंगी? ममता बनर्जी इस जंग में उनका कितना साथ देंगी?
क्या ईरान की धमकी और बाइडेन की चेतावनी के बाद इज़रायल फँस गया है? क्या वह इज़रायल पर ज़मीनी हमला टाल सकता है? अगर इज़रायल गज़ा पट्टी में घुसा तो क्या लड़ाई फैल जाएगी? अरब मुल्क फिलिस्तीनियों की मदद के लिए किस हद तक जा सकते हैं? क्या अमेरिका इस बड़ी जंग को रोकेगा या फिर वह भी इज़रायल के साथ मैदान में उतर सकता है? रूस और चीन तटस्थ रहेंगे या फिलिस्तीनियों के पक्ष में खड़े हो जाएंगे?
क्या जातीय जनगणना का मुद्दा राजनीति का नरैटिव बदल रहा है? क्या इससे हिंदुत्व का ज्वार ठंडा पड़ने लगा है? पांच राज्यों के चुनाव में ये मुद्दा किस तरह से असर कर रहा है? क्या इसने 2024 के चुनाव का एजेंडा बदल दिया है?
अडानी ने हज़ारों करोड़ के कोयले घोटाले को कैसे अंजाम दिया? अडानी की कंपनियों ने मार्केट रेट से ज़्यादा भाव पर कोयला आयात क्यों किया? ओवर इनवायसिंग करके उसने पैसे को बाहर क्यों भेजा? क्या बाहर भेजा गया पैसा मॉरिशस के रास्ते अडानी की कंपनियों में लगा? सेबी और मोदी सरकार इस घोटाले से आँखें क्यों मूँदें हुई हैं? क्या मोदी के आशीर्वाद से अडानी इस घोटाले से भी बच जाएंगे?
हमास के हमले के बाद इज़रायल को कितना समर्थन दिया जाना चाहिए? क्या इज़रायल लोकतंत्र, मानवाधिकार और न्याय के साथ खड़ा है? हमास के हमले के कारण इज़रायल के उन अत्याचारों को भुला दिया जाना चाहिए जो वह फिलिस्तीनियों पर लगातार करता आ रहा है? क्या फिलिस्तीन समस्या और हमास के हमलों को अलग करके देखा जाना चाहिए?
क्या पाँच राज्यों के चुनाव में बीजेपी का सूपड़ा साफ़ होने जा रहा है? सी वोटर-एबीपी का जनमत सर्वेक्षण उसे किसी भी राज्य में बहुमत हासिल करते नहीं दिखा रहा है? उधर काँग्रेस तेलंगाना में भी सरकार बनाने की राह पर नज़र आ रही है? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं- राजेश बादल, सतीश के. सिंह, विजय विद्रोही, डॉ. राकेश पाठक और प्रिया सहगल-
क्या राहुल को काँग्रेस के कायाकल्प का फार्मूला मिल गया है? वे पिछड़ी जातियों के मुद्दों पर इतना ज़ोर क्यों दे रहे हैं? काँग्रेस उत्तरप्रदेश में काँशीराम और दलितों से जुड़ने का अभियान क्यों चलाने जा रही है? क्या राहुल-खड़गे ने पार्टी का सामाजिक आधार बढ़ाने के लिए ये रास्ता खोजा है? पार्टी को इस नीति से कितना फ़ायदा मिल सकता है?
क्या अजित पवार शिंदे की जगह मुख्यमंत्री बनने वाले हैं? क्या बीजेपी के साथ उनका हनीमून ख़त्म हो गया है? क्या बीजेपी से उनकी नाराज़गी की वज़ह मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाना है? क्या इसीलिए वे कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हुए? क्या दलबदल कानून की वज़ह से शिंदे की कुर्सी जाएगी और दादा की ताजपोशी की जाएगी?
क्या मोदी सरकार बचे-खुचे मीडिया को भी ख़त्म कर देगी? साफ़ छवि वाले पत्रकारों को धमकाकर वह क्या हासिल करना चाहती है? क्या वह आम चुनाव के मद्देनज़र ऐसा कर रही है? क्या ऐसा करके उसने इमर्जेंसी से भी बदतर हालात नहीं कर दिए हैं? मीडिया पर इस जानलेवा हमले से विश्व में भारतीय लोकतंत्र की क्या छवि बनेगी?
गाँधी जयंती पर गोडसे की वंदना क्यों हो रही है? इन गोडसे भक्तों के पीछे कौन सी शक्तियाँ हैं क्या मोदी सरकार गोडसे भक्तों का हौसला बढ़ा रही है? वह गाँधी के ख़िलाफ़ ज़हर उगलनेवालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं करती है? क्या गाँधी को खलनायक बनाने के अभियान में वह भी शामिल है?