इमरान ख़ान ने अफ़ग़ानिस्तान में गृह युद्ध की चेतावनी देकर सबको चौंका दिया है। सवाल यह है कि यकायक पाकिस्तान को तालिबान से क्या दिक्क़त होने लगी है, क्या कारण है?
तालिबान से जुड़े मसले को लेकर सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की न्यूयॉर्क में होने वाली बैठक रद्द कर दी गई है। पाकिस्तान चाहता था कि सार्क बैठक में तालिबान अफ़ग़ानिस्तान का प्रतिनिधित्व करे।
तालिबान ने 15 अगस्त को दहशत फैलाकर काबुल पर क़ब्ज़ा जमाया, चुनी हुई सरकार खत्म हो गई। महिलाओं पर तालिबान जुल्म बढ़ता ही जा रहा है। जब अफ़ग़ानों का ही तालिबान पर भरोसा नहीं तो दुनिया कैसे करेगी?
अफ़ग़ानिस्तान पर भारत की विदेश नीति क्या है? शांघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफ़ग़ानिस्तान में सर्वसमावेशी सरकार और आतंक-मुक्ति की बात पर जोर दिया। लेकिन इसमें नया क्या है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन में कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की कट्टरता चुनौतीपूर्ण है जिसे रोकने के लिए एससीओ को आगे आना चाहिए।
तालिबान ने जब अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जा जमाया तो उसको समर्थन व मान्यता देने की सबसे पहले बात कहने वालों में से चीन भी एक था। अब तालिबान ने चीन से दोस्ती का इजहार कर तालिबान ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है।
तालिबान ने इस बात का खंडन किया है कि मुल्ला अब्दुल ग़नी बरदार की हत्या कर दी गई है। मुल्ला हबीतुल्लाह अखुंदज़ादा के नाम से एक बयान जारी किया गया है। पर यह पता नहीं चल सका है कि वे कहाँ हैं।
चीन ने अफ़ग़ानिस्तान को तीन करोड़ डॉलर की मानवीय मदद का एलान कर दिया है, उसने इसके अलावा बड़े पैमाने पर वित्तीय निवेश और दूसरी आर्थिक गतिविधियों का भरोसा भी दिया है। इससे क्या होगा?
तालिबान का क्रूर चेहरा एक बार फिर सामने आ गया है। पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह के भाई रूहल्लाह अज़ीज़ी की हत्या किए जाने की खबर है। उनके परिजनों ने यह दावा किया है।