हिटलर के नाज़ी मंत्री गोएबल्स का एक सिद्धांत था 'जितना बड़ा झूठ होगा, वह उतनी ही आसानी से जनता द्वारा निगला जाएगा'। क्या भारतीय अधिकारियों का एक बड़ा वर्ग और हमारे ज़्यादातर बेशर्म और बिके हुए भारतीय मीडिया गोएबल्स के वफादार शिष्य हैं?
भारत सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कहा है कि अल्पसंख्यक समाज में अधिकांश लोगों ने तब्लीग़ी जमात के कृत्य की निंदा की है।
पिछले लगभग तीन हफ़्तों से तब्लीग़ी जमात मीडिया और कुछ राजनीतिक दलों के निशाने पर है। इस दौरान उस पर कोरोना फैलाने की साज़िश रचने से लेकर कैरोना जिहाद करने तक के आरोप लगाए गए। जमात के बहाने पूरे मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने का एक सुनियोजित अभियान भी चलाया गया। बहरहाल, अब मौलाना साद ने प्लाज़्मा दान करने की अपील करके एक सकारात्मक पहल की है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए।
यह तथ्य तो अब जगजाहिर हो चुका है कि भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के बढ़ते मामलों के लिए एक संप्रदाय विशेष को संगठित और सुनियोजित रूप से ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है।
क्या मुसलमान कोरोना के जानलेवा ख़तरे को नहीं समझ रहा? क्या वो जानबूझ कर अपनी जान देने पर आमादा है? और सबसे बड़ी बात कि आख़िर वो इतने ग़ुस्से में क्यों है?
भारत में कोरोना महामारी की आड़ में मुसलिम समुदाय के ख़िलाफ़ जिस तरह सरकारी और ग़ैर-सरकारी स्तर पर सुनियोजित नफ़रत-अभियान और मीडिया ट्रायल चलाया जा रहा है, उसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया होने लगी है।
खाड़ी के देशों की तल्ख़ी के बाद भारत सरकार को क्यों बयान देना पड़ा? कोरोना की आड़ में कौन लोग इस्लामोफोबिया फैला रहे हैं? मीडिया के एक वर्ग को कब शर्म आयेगी?
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों से कहा है कि वे अपने राज्यों में रहने वाले रोंहिग्या शरणार्थियों का जल्द से जल्द पता लगाएं और उनकी स्क्रीनिंग कराएं।
भारत में हाल के कुछ महीनों में मुसलमानों पर अत्याचार और उत्पीड़न बढ़े हैं तथा मीडिया के कुछ लोगों द्वारा उन्हें आतंकवादी और राष्ट्र विरोधी नागरिकों के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
हाल के दिनों में कोरोना वायरस फैलने पर तब्लीग़ी जमात को अनावश्य ही निशाने पर लिया गया। क्या जाँच सैंपलिंग की पक्षपाती मीडिया रिपोर्टिंग ने तब्लीग़ी जमात को बना दिया विलेन?
कोरोना वायरस से मरे लोगों को कोई दफ़नाने को तैयार नहीं होता है, कोई क़ब्र खोदने को तैयार नहीं होता है, किसी क़ब्रिस्तान में इन्हें जगह नहीं मिल रही है।