शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जीवन बहुत संघर्षशील रहा। देश की आजादी की लड़ाई के दौरान वो दो बार जेल गए। उन्होंने शंकराचार्य पद की गरिमा और रक्षा के लिए स्वामी वासुदेवानंद से अदालत में लंबी लड़ाई लड़ी और जीती। अदालत ने वासुदेवानंद के शंकराचार्य लिखने पर रोक लगा दी। लेकिन बीजेपी और आरएसएस ने 2015 में उन्हीं वासुदेवानंद को राम मंदिर ट्रस्ट में रखकर उन्हें मान्यता देने की कोशिश की। जिस पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने सार्वजनिक रूप से नाखुशी जताई।