सुशांत सिंह राजपूत मामले की जिस तरह की टीवी कवरेज हो रही है वो कई सवाल खड़े करती है। क्या पत्रकारिता है या फिर हद दर्जे का छिछोरापन! एक चर्चा। आशुतोष के साथ आलोक जोशी, आभा सिंह और अकु श्रीवास्तव।
टेलीविज़न पागलपन बाँट रहा है और देश की पूरी आबादी पागलों की तरह लिंचिंग मॉब में तब्दील हो रही है। देश की नितांत गंभीर समस्याओं को दरी के नीचे डालने और बिहार चुनाव में सफलता हासिल करने के लिये सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु का दोहन किया जा रहा है। कोरोना बेरोज़गारी तबाह होती अर्थव्यवस्था और सीमा पर चीन द्वारा ज़मीन हथियाना संवाद से बाहर है, आगाह कर रहे हैं शीतल पी सिंह।
टीआरपी की जंग की वज़ह से न्यूज़ चैनल सुशांत की मौत को एक मनोरंजक खेल में तब्दील कर दिया है। मगर इसके पीछे और भी कई एजेंडे काम कर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।Satya Hindi
सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में अब नया मोड़ आ गया है। रिया चक्रवर्ती के ख़िलाफ़ की जा रही पुलिस जाँच के बीच अब इस पूरे मामले में ड्रग्स के एंगल का विवाद शुरू हो गया है।
अब सुशांत सिंह राजपूत के साइकोलाजिकल औटोपसी की बात की जा रही। पहली बार भारत में किसी मौत का मक़सद, उसके पीछे की परिस्थितियाँ और इरादा समझने के लिए ये प्रयोग हो रहा है। इंग्लैंड के मशहूर मनो चिकित्सक डा अशोक जैनर और डा सोम शेखर बता रहे है कि क्या ये सुशांत की मौत का राज खोलेगा।Satya Hindi
क्या सचमुच सुशांत सिंह राजपूत को न्याय दिलाने की होड़ मची है। क्या सचमुच यह बिहार की अस्मिता से जुड़ा सवाल है जिसको लेकर सभी राजनीतिक दल एक ही राग अलाप रहे हैं। या सारी बेचैनी वोट की राजनीति साधने को लेकर है।
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमयी मौत की गुत्थी को सुलझाने के लिए सीबीआई जाँच को सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दे दी है। पटना में दर्ज एफ़आईआर को मुम्बई में स्थानान्तरित करने की रिया की माँग नहीं मानी।
सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आते ही संबित पात्रा समेत बीजेपी का आईटी सेल महाराष्ट्र सरकार के गिरने की आकांक्षा व्यक्त करने के अभियान में जुट गया । ट्विटर पर ट्रेंड होने लगा और बयान आने लगे । कुछ ऐंकर स्टूडियोज़ में पगलाने लगे तो कुछ सोशल मीडिया पर । शीतल पी सिंह की रिपोर्ट Satya Hindi