महाराष्ट्र के सियासी जानकारों का कहना है कि यह शरद पवार का राजनीतिक दांव था, जिसमें वो माहिर हैं। इस दांव से उन्होंने कई चीजों को एक साथ साध लिया। पहली तो ये कि उन्होंने अजित पवार की बगावत को शांत कर दिया है, जिनको लेकर खबरें आ रही थीं कि वे बीजेपी के साथ नजदीकी बढ़ा रहे हैं।
अजित पवार शुक्रवार को मुंबई में हो रही पार्टी की बैठक छोड़कर, पुणे में हो रहे दूसरे कार्यक्रम में शामिल हुए। इसे उनकी नाराजगी के तौर पर देखा गया। उसी दिन जारी की स्टार प्रचारकों की सूची से नाम काट दिया गया।
महाराष्ट्र बीजेपी प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने एनसीपी नेता सुप्रिया सुले को लेकर ऐसा क्या कह दिया कि विरोधी उन्हें और उनकी पार्टी को महिला विरोधी क़रार देने लगे?