नये कृषि क़ानूनों पर गतिरोध को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समिति बनाने के सुझाव के बीच किसान ऐसी किसी कमेटी का हिस्सा बनने के पक्ष में नहीं हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस मामले में बयान जारी किया है।
अदालत मे क्यों मुँह की खानी पड़ी सरकार को ? अदालत क्यों आंदोलन में दखल दे ? आशुतोष के साथ चर्चा में विकास सिंह, आलोक जोशी, विनोद अग्निहोत्री, विकास गुप्ता और राहुल राज !
अदालत मे क्यों मुँह की खानी पड़ी सरकार को ? अदालत क्यों आंदोलन में दखल दे ? आशुतोष के साथ चर्चा में विकास सिंह, आलोक जोशी, विनोद अग्निहोत्री, विकास गुप्ता और राहुल राज !
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। सुप्रीम कोर्ट : ‘अगर आप कृषि क़ानूनों को होल्ड नहीं कर सकते तो हम कर देंगे’।CJI बोले - केन्द्र सरकार समस्या समाधान निकालने में असमर्थ
केंद्र सरकार ने किसानों से कह दिया है कि कृषि क़ानून मान्य नहीं हैं तो सुप्रीम कोर्ट जाइए। किसानों ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वे न तो सुप्रीम कोर्ट जाएँगे, न ही अदालती कार्यवाही का हिस्सा बनेंगे और अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस दिनेश महेश्वरी की बेंच ने कहा कि जनहित याचिका के नाम पर अदालतों का समय सरकार से असहमति रखने वाले ग्रुप और सिविल सोसाइटी के लिए बर्बाद नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में ग़ैरक़ानूनी धर्मांतरण क़ानूनों की वैधता की जाँच करेगा। कोर्ट ने इस पर दोनों राज्यों की सरकारों को नोटिस जारी किया है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस. ए. बोबडे ने जस्टिस रमन्ना से कहा है कि वे जगनमोहन रेड्डी के आरोपों का जवाब दें। रेड्डी ने शिकायत की थी कि जस्टिस रमन्ना आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट को प्रभावित कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट कोरोना काल में वर्चुअल हुआ और इसने जनहित से जुड़े और जनमानस में उत्सुकता भरने वाले विभिन्न ऐतिहासिक और भविष्यगामी फ़ैसले दिए। पढ़िए साल 2020 के कुछ महत्त्वपूर्ण फ़ैसले।
किसान आंदोलन पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रास्ता किसानों ने नहीं आपने, यानी आपकी पुलिस ने रोका है। कहा कि सरकार किसानों पर कोई ज़बर्दस्ती नहीं करेगी। आंदोलन भी जारी रहने दिया जाएगा।
किसान आंदोलन से संबंधित गुरुवार की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने वर्तमान गतिरोध को हल करने के लिए एक बहुत ही समझदारी भरा रास्ता दिखाया। सरकार को इन क़ानूनों के कार्यान्वयन को रोकना चाहिए।
हिरासत में ज़्यादतियों की लगातार आती रही ख़बरों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुलिस थानों के साथ ही सीबीआई, ईडी, एनआईए जैसी जाँच करने वाली एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएँ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि राज्य कोरोना को लेकर तैयार नहीं होंगे तो दिसंबर में बहुत ख़राब हालत होगी। कोर्ट ने तो उन 4 राज्यों से दो दिनों में स्टेटस रिपोर्ट भी तलब की है जहाँ कोरोना संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं।