हिरासत में ज़्यादतियों की लगातार आती रही ख़बरों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुलिस थानों के साथ ही सीबीआई, ईडी, एनआईए जैसी जाँच करने वाली एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएँ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि राज्य कोरोना को लेकर तैयार नहीं होंगे तो दिसंबर में बहुत ख़राब हालत होगी। कोर्ट ने तो उन 4 राज्यों से दो दिनों में स्टेटस रिपोर्ट भी तलब की है जहाँ कोरोना संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
पहले से ही सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी करने के लिए अवमानना मामले का सामना कर रहे कुनाल कामरा पर एक और अवमानना केस चलाने की मंजूरी दी गई है। कुनाल कामरा ने सीजेआई एस ए बोबडे के ख़िलाफ़ ताज़ा ट्वीट 18 नवंबर को किया था।
लेखक व बुद्धीजीवी प्रताप भानु मेहता ने भारतीय न्यायपालिका के मौजूदा संदर्भ में लोकतांत्रिक बर्बरता का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि हालांकि सुप्रीम कोर्ट कभी भी संपूर्ण नहीं रहा, पर वह अब न्यायिक बर्बरता की ओर बढ़ रहा है। क्या है मामला, पढ़ें यह लेख।
सरकार के दोनों हलफ़नामों से साफ़ है कि वह दोषी मीडिया संस्थानों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं करना चाहती। क्या इसलिए कि वे उसकी विचारधारा को आगे बढ़ाते हैं? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने तबलीग़ी ज़मात से जुड़ी मीडिया रिपोर्टिंग पर केंद्र सरकार के रवैए पर उसे फटकारा है। उसने सरकार की ओर से दायर हलफ़नामे पर सवाल उठाया और टीवी चैनलों की ख़बरों के नियमन के लिए कुछ करने की बात भी कही है।
सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार सिद्दिक कप्पन को किसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। इस मामले की अगली सुनवाई अब शुक्रवार को होगी।
अर्णब गोस्वामी के मामले में सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी करने के लिए अवमानना केस का सामना कर रहे कॉमेडियन कुनाल कामरा ने कहा है कि वह न तो वकील करेंगे और न ही माफ़ी माँगेंगे, जुर्माना भरेंगे।
अर्णब गोस्वामी की ज़मानत को लेकर कई ट्वीट से सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करने पर स्टैंड अप कॉमेडियन कुनाल कामरा पर अवमानना का केस चलेगा। एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केस चलाने की अनुमति दे दी है।
तबलीग़ी जमात की एक याचिका की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि एक जूनियर अफ़सर से हलफ़नामा दाखिल करा कर उसने अदालत के साथ बहुत ही बुरा व्यवहार किया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने एक अहम फ़ैसले में कहा है कि प्रदर्शनकारी किसी सार्वजनिक स्थल को अनिश्चित काल के लिए घेर कर नहीं रख सकते। अदालत ने राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए के ख़िलाफ लगभग 3 महीने तक चले विरोध प्रदर्शन पर यह टिप्पणी की है।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन।हाथरस केस: सुप्रीम कोर्ट- गवाहों की सुरक्षा के क्या हैं इंतज़ाम?। बिहार चुनाव: NDA में सीट बंटवारा, जेडीयू 122, बीजेपी 121 सीटें
जस्टिस अजीत प्रकाश शाह ने जस्टिस सुरेश शाह मेमोरियल लेक्चर देते हुए एक आलेख पढ़ा, 'सुप्रीम कोर्ट का पतन, भूली हुई आज़ादी और घटे हुए अधिकार'। पेश है उसके मुख्य अंश का अनुवाद।
सुदर्शन टीवी के 'यूपीएससी जिहाद' कार्यक्रम को लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह संदेश मीडिया में जाए कि किसी भी समुदाय को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।