भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने विगत 8 फ़रवरी को न्यूज़ चैनलों के स्व-नियमन संस्था को लिखा है कि कुछ चैनलों ने अपनी ख़बरों में दलित शब्द का प्रयोग किया है जो प्रोग्राम कोड के तीन उपबंधों का उल्लंघन है।
यूपीएससी के जो अभ्यर्थी 2020 में परीक्षा में अपने आख़िरी प्रयास का इस्तेमाल कर लिया है उनको अब कोई दूसरा मौक़ा नहीं मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह फ़ैसला एक याचिका पर दिया है।
जस्टिस रंजन गोगोई के साथ क्या साजिश हुई थी? बंगाल चुनाव में प्रभाव डालेगा किसान आंदोलन? पेट्रोल 100 के पार इसके लिए भी ज़िम्मेदार कांग्रेस? देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेषण. Satya Hindi
पत्रकार राजदीप सरदेसाई के ख़िलाफ़ न्यायपालिका से संबंधित उनके ट्वीट के लिए मुक़दमा किए जाने की ख़बरों को सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों ने खारिज किया है। कहा गया है कि ग़लती से SC वेबसाइट पर स्टेटस दिखा।
केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन को आख़िरकार ज़मानत तो मिल गई लेकिन सिर्फ़ पाँच दिन के लिए। वह भी शर्तों के साथ। सुप्रीम कोर्ट ने यह ज़मानत इस शर्त पर दी है कि वह अपनी 90 वर्षीय माँ से मिलेंगे जो बहुत बीमार हैं।
क्या सरकार नहीं चाहती सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस कुरैशी को? कोलेजियम पर सरकार हावी या सरकार कोलेजियम पर? देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास की रिपोर्ट। SatyaHindi
सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग़ के फ़ैसले पर पुनर्विचार याचिका ठुकराते हुए एक ऐसे फ़ैसले को सही ठहरा दिया है जो ढेर सारे प्रश्नों को जन्म देता है। इससे लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन का अधिकार बाधित हो सकता है और सरकारों को आंदोलन कुचलने का नया हौसला मिल सकता है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-
सुप्रीम कोर्ट ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण फ़ैसले में कहा है कि 'विरोध प्रदर्शन करने और असहमति जताने का अधिकार कुछ कर्तव्यों के साथ है और यह कहीं भी व कभी भी नहीं हो सकता है।'
स्टैंड अप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी को सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत तो शुक्रवार को ही दे दी थी लेकिन जेल से रिहा शनिवार देर रात रिहा किए जा सके। वह भी तब जब सुप्रीम कोर्ट से फ़ोन गया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को देखने के लिए वेबसाइट को देखें।
कमेटी पर किसानों को भरोसा नहीं तो कैसे निकलेगा हल? हरियाणा में कुर्सी बचाने की जुगत में चौटाला ? वाट्सऐप क्यों छोड़ने लगे लोग? देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेषण। Satya Hindi
सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की पीठ से जो सरकार के ख़िलाफ़ गर्जन-तर्जन हो रहा था, उसे फटकार सुनाई जा रही थी, उसका खोखलापन तुरत उजागर हो गया। पूरी सुनवाई किसानों के हित, देश की भलाई का एक कमज़ोर स्वाँग भर थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब किसान आंदोलन का क्या होगी? किसान आंदोलन के कारण हरियाणा सरकार गिरेगी ? ट्रंप समर्थक बिगाड़ेंगे बाइडन का शपथ ग्रहण समारोह ? देखिए वरिष्ठ पत्रकार आलोक जोशी का विश्लेषण। Satya Hindi
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। राकेश टिकैत बोले- कानून बनाने वाले लोग ही कमेटी में । योगेन्द्र यादव : ये सरकारी कमेटी, हम बात नहीं करेंगे
किसानों के प्रदर्शन के बारे में जो बात सरकार के समर्थक सोशल मीडिया पर या छुटभैये नेता इधर उधर बोलते रहे थे वही बात अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कही है। किसानों के प्रदर्शन में खालिस्तानियों का हाथ होने के आरोप लगाए हैं।