राकेश अस्थाना को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर नियुक्त किए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की याचिका दायर की गई है।
इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर से कथित जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के लिए देश के सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों सहित 500 लोगों ने मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना को खुला ख़त लिखा है।
पेगासस स्पाइवेयर से कथित जासूसी मामले की जाँच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अगले हफ़्ते सुनवाई हो सकती है। वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए आग्रह किया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तोड़फोड़ और संपत्ति को नुक़सान पहुँचाना सदन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है और इसलिए सीपीआईएम के छह सदस्यों के ख़िलाफ़ चल रहा मुक़दमा वापस नहीं लिया जा सकता है।
पेगासस स्पाइवेयर मामले की जाँच सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा या सेवानिवृत्त जज से कराए जाने की मांग को लेकर वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
पेगासस मामले की जाँच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराए जाने को लेकर सीपीएम के एक सांसद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इससे पहले एक वकील ने भी अदालत में याचिका दायर कर इसकी मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत में दो न्याय व्यवस्था नहीं हो सकती है। इसने गुरुवार को कहा है कि जो अमीर हैं, जिनके पास राजनीतिक सत्ता है और जिनकी न्याय व्यवस्था तक पहुँच नहीं है उनके लिए अलग व्यवस्था नहीं हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के उस फ़ैसले पर मुहर लगा दी है जिसमें सहकारिता से जुड़े 97वें संविधान संशोधन क़ानून को रद्द कर दिया गया था। इसके साथ ही केंद्र में अलग सहकारिता मंत्रालय बनाने पर सवालिया निशान लग गया है।
सुप्रीम कोर्ट में दो महिला पत्रकारों-पेट्रीसिया मुखिम और अनुराधा भसीन ने राजद्रोह क़ानून के ख़िलाफ़ याचिक दायर कर कहा है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता के अधिकार की पूर्ण प्राप्ति को बाधित करता है।
देश में बढ़ते बहुसंख्यकवाद पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा है कि संविधान में दिए गए स्वतंत्रता और समानता के सिद्धान्तों के आधार पर इस बहुसंख्यकवाद पर सवाल खड़े किए जाने चाहिए।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने न्यायपालिका को देश के लोकतंत्र का गार्डियन यानी संरक्षक बताया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि भारत के लोग जानते हैं कि जब चीजें ग़लत होंगी तो न्यायपालिका उनके साथ खड़ी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह क़ानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी है। पहले ही दिन कोर्ट ने यह सवाल उठा दिया है कि क्या अंग्रेज़ी हुकूमत में अभिव्यक्ति की आज़ादी का गला घोंटने के लिए बनाए गए इस क़ानून की आज कोई ज़रूरत है?
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। SC : अंग्रेज़ों के देशद्रोह के क़ानून की क्या 75 साल बाद भी ज़रूरत? The Supreme court asks- is it still necessary to continue sedition law which was used by britishers to suppress our freedom movement.