सीजेआई एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाले कॉलिजियम ने जिन जजों के नाम की सिफ़ारिश की थी, उनमें से चार जज हाई कोर्ट्स में चीफ़ जस्टिस के रूप में काम कर रहे हैं।
इस बारे में ख़बर छपने पर कि कॉलिजियम ने 8 जजों के नामों की सिफ़ारिश की है, सीजेआई नाराज़ हुए थे। लेकिन शाम होते-होते सुप्रीम कोर्ट ने नामों को लेकर तसवीर साफ कर दी।
पांच सदस्यों वाले कॉलिजियम में सीजेआई रमना के अलावा, जस्टिस यू.यू. ललित, जस्टिस ए.एम. खानविलकर, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एल. नागेश्वर राव का नाम शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सिफारिशों को मंजूरी देने के वर्षों बाद भी उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं होने का कारण सरकार का ‘अड़ियल रवैया’ है।
कॉलीजियम का फ़ैसला फिर विवादों में है। यह विवाद साम्प्रदायिक हिंसा और नागरिक स्वतंत्रता पर फ़ैसले देने के लिए प्रसिद्ध जस्टिस मुरलीधर के दिल्ली हाई कोर्ट से पंजाब और हरियाणा कोर्ट में तबादले को लेकर है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलीजियम का फ़ैसला एक बार फिर विवादों में है। गुजरात के जस्टिस अकील कुरैशी के मामले में सुप्रीम कोर्ट कॉलीजियम ने अपनी ही सिफ़ारिशें क्यों बदलीं?
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के तबादले और उच्चतम न्यायालय में उनकी पदोन्नति के लिये कॉलीजियम की कार्यशैली पर अब न्यायपालिका के अंदर से ही आवाज़ें उठने लगी हैं।
न्यायमूर्ति विजया ताहिलरमानी के तबादले पर उठे विवाद व हाई कोर्टों के दो अन्य जजों के तबादले के विरोध के बाद अब सुप्रीम कोर्ट कॉलीजियम ने एक अभूतपूर्व बयान जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं लेकिन हाल के दिनों में इसके बारे में कई गंभीर प्रश्न खड़े हो गये हैं। अब जस्टिस मदन बी लोकुर ने भी सवाल उठाए हैं।
केंद्र सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में 10 वकीलों को जज बनाने की सुप्रीम कोर्ट कॉलीजियम की सिफ़ारिश को फ़िलहाल टाल दिया है। इससे सुप्रीम कोर्ट कॉलीजियम और केंद्र सरकार के बीच फिर से टकराव तो नहीं बढ़ेंगे?
सवाल अभी भी रहस्य ही बना हुआ है कि 75 सदस्यीय उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विजय ताहिलरमानी का अचानक ही मेघालय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद पर तबादला क्यों किया गया?