नागरिकता संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद से सोशल मीडिया पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत का जो मौहाल तैयार किया जा रहा है, क्या वह स्वतस्फूर्त है या इसके पीछे किसी की साजिश है?
6 महीने से लगातार चल रहे हिंसक प्रतिरोध के बीच रविवार को संपन्न हुए ज़िला परिषद (डिस्ट्रिक्ट काउंसिल) चुनावों में 452 में से 392 सीटें जीत चीन विरोधियों ने चीन और चीन समर्थकों को कड़ा संदेश दिया है।
यूरोपीय संसद के 23 सदस्यों के जम्मू-कश्मीर दौरे पर सोशल मीडिया पर ज़बरदस्त प्रतिक्रिया हो रही है। ट्विटर पर #ये_कैसा_राष्ट्रवाद ट्रेंड कर रहा है, जिससे सैकड़ों लोग जुड़ गए हैं।
सरकार जल्द ही एक ऐसा क़ानून लाने जा रही है जिससे सोशल मीडिया पर हेट स्पीच, फ़ेक न्यूज़, किसी को अपमानित करने की नीयत से किए गए पोस्ट और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को रोका जा सकता है। सत्य हिंदी न्यूज़
सोशल मीडिया पर कई लोग बातचीत के दौरान गाली-गलौज पर उतर आते हैं। लेकिन अब ऐसे लोगों को अलर्ट हो जाना चाहिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख़्त दिशा-निर्देश बनाये।
सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए कि वह पुराने क़ानूनों का सख़्ती से पालन सुनिश्चित करवाये, वरना अगर ट्रोल आर्मी इसी तरह लोगों को परेशान करती रही तो फिर नये क़ानूनों की क्या ज़रूरत है।
सोशल मीडिया ने लोगों को सशक्त बनाया है या शक्तिहीन? यह सवाल इसलिए कि सोशल मीडिया अब लोगों को गुमराह, प्रभावित और दिग्भ्रमित करने का एक कपटी हथियार बन गया है।
सवर्ण युवती साक्षी से विवाह करने के बाद से दलित युवक अजितेश के ख़िलाफ मीडिया का एक हिस्सा सक्रिय है, सोशल मीडिया पर उनके लिए भद्दे कमेंट्स किए जा रहे हैं। क्यों?