देश में बहस चल रही है कि राहुल गांधी अपनी लंदन यात्रा के दौरान एक विदेशी ज़मीन से प्रधानमंत्री पर प्रहार कर भारत की छवि को कमजोर कर रहे हैं। पिछले साल मई माह में लिखे गए प्रसिद्ध पत्रकार श्रवण गर्ग के इस आलेख से इस बात की थोड़ी जानकारी मिल सकती है कि अपनी विदेश यात्राओं के दौरान मोदी बतौर पीएम विदेशों में हमारे अतीत के नायकों को किस तरह पेश करते हैं !
कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन में राहुल गांधी के भाषण के मायने क्या हैं? आख़िर राहुल के भाषण के दौरान उनकी मां सोनिया गांधी राहुल की ओर क्यों नहीं देख रही थीं?
देश की नज़रें इस समय कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन पर हैं। क्या इसमें कुछ ठोस होगा? क्या राहुल के गुणगान से ज़्यादा भी कुछ होगा और विपक्षी एकता को लेकर क्या राहुल गांधी कुछ करेंगे?
गुजरात के मोरबी में क्या भोपाल जैसा कुछ दोहराया जाएगा। प्रसिद्ध पत्रकार श्रवण गर्ग ने भोपाल गैस त्रासदी के बाद वहां हुए चुनाव से मोरबी और पूरे गुजरात के चुनाव की तुलना की है। सचमुच, यह चुनाव गुजरात और मोरबी के लोगों की परीक्षा है। जानिए उस वक्त की राजनीति और इस वक्त की राजनीति का हालः
हाल में तमिलनाडु के वित्त मंत्री पलानिवेल त्याग राजन ने सवाल किया कि वह आख़िर प्रधानमंत्री की अर्थव्यवस्था पर टिप्पणी को क्यों सुनें, क्या उन्होंने इसमें विशेषज्ञता हासिल की है या काम कुछ ऐसा किया है? उनका सवाल कितना वाजिब है?
बिहार में नीतीश कुमार के तेजस्वी यादव के साथ आने से बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए क्या मुश्किलें खड़ी हो गई हैं? ऐसे में लाल कृष्ण आडवाणी को कैसे हालात का इंतज़ार होगा?
बीजेपी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी के मामले में चौतरफ़ा दबाव के बाद क्या प्रधानमंत्री मोदी अपनी चुप्पी तोड़ेंगे? क्या मोदी बदल जाएँगे, क्या बीजेपी बदल जाएगी?
कांग्रेस जब नव संकल्प चिंतन शिविर में भारत जोड़ो अभियान शुरू करने की घोषणा कर रही थी तो हार्दिक पटेल पार्टी छोड़ने की तैयारी में लगे थे। जब एक के बाद एक नेता छोड़ रहे हैं तो कांग्रेस ऐसे कैसे अभियान चलाएगी?
देश में नफ़रत फैलाने में मीडिया कितना ज़िम्मेदार है? क्या मीडिया इस रूप में इसलिए है कि इन मीडिया हाउसों के मालिक उद्योगपति हैं और उद्योगपतियों की सत्ता से काफ़ी नज़दीकी होती है?
देश में धार्मिक आधार पर बन रहे नफरत के माहौल के बीच क्या पूर्व नौकरशाहों की चिट्ठी का कोई असर सरकार पर नहीं होगा और क्या जनता को सीधे प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखनी होगी?
जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने के मामले में हुई तोड़फोड़ या सांप्रदायिक हिंसा की तमाम घटनाओं को लेकर हिंदुओं और मुसलमानों के एक बहुत बड़े तबके ने क्या चुप्पी साधी हुई है?
मध्य प्रदेश के खरगोन में क्या बहुसंख्यक समुदाय ही दहशत में है और वे लोग घर छोड़कर पलायन कर रहे हैं? अख़बारों ने किस आधार पर ऐसी ख़बर प्रकाशित की है? जानिए सच!