गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही ग्वालियर में पार्टी-कार्यकर्ताओं को चुनाव जीतने का मंत्र दिया कि 'कांग्रेस के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को चुनाव से पहले भाजपा में लाएँ'। तो क्या चुनाव में उपलब्धियाँ गिनाने को कुछ नहीं है इसलिए ऐसी रणनीति बन रही है?
बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को विशाल बहुमत देने वाले चुनावी सर्वेक्षण सचाई के कितने क़रीब हैं? दक्षिण में स्थिति बुरी होने के बावजूद क्या वे इतनी सीटें जीत सकते हैं? क्या बिहार, बंगाल, कर्नाटक में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन की उनकी भविष्यवाणी सही साबित होगी? आगे चलकर तस्वीर और कितनी बदल सकती है?
अयोध्या में भव्य राम मंदिर और प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी को उनके मंत्रिमंडल ने उन्हें जननायक घोषित कर दिया। हालांकि आमतौर पर जननायक जनता घोषित करती है। लेकिन इतनी पेशबंदी के बावजूद भाजपा और पीएम मोदी आश्वस्त नहीं हो पा रहे हैं कि आखिर जनता ने इस इवेंट को राजनीतिक तौर पर कितना ग्रहण किया है। वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग क्या कहना चाहते हैं, समझिएः
एक तरफ भाजपा के राम हैं जो जय श्रीराम हैं। दूसरी तरफ राहुल गांधी यानी कांग्रेस के राम हैं जो जय सियाराम हैं। राहुल के पास लोकतंत्र के राम हैं, जो भारत जोड़ो न्याय यात्रा में प्रत्यक्ष दिखाई पड़ रहे हैं लेकिन देश की मीडिया को नहीं दिखाई दे रहा है। वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग की अनुभवी लेखनी जन-जन के राम को राहुल गांधी की यात्रा के जरिए बताने की कोशिश कर रहे हैं। आप भी जानिए- जय सिया राम...
साल 2023 हिंसा के प्रति बढ़ती मोहब्बत के लिए याद किया जाएगा। वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग बता रहे हैं कि किस तरह हमारे सत्ता प्रतिष्ठान के हिंसा के अचूक फॉर्मूले को बॉलीवुड ने भुनाया है। क्या कहना चाहते हैं देश के वरिष्ठ पत्रकार, जानिएः
संसद से 146 सांसदों के निलंबन ने कई आशंकाओं को जन्म दिया है। यह निलंबन क्या सिर्फ राजनीतिक दलों के लिए चेतावनी है या फिर इसमें जनता के लिए भी कोई संदेश छिपा है। क्या भारतीय राजनीति विपक्ष मुक्त संसद की तरफ बढ़ रही है। ऐसे ही सवालों को उठाते हुए वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग की टिप्पणीः
मध्य प्रदेश में भाजपा आई तो सीएम की कुर्सी पर कौन बैठेगा, यह अहम सवाल सत्ता के गलियारों में पूछा जा रहा है। ये सवाल दरअसल भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ही देन है। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान पर चर्चा स्वाभाविक है। मोदी-शाह मय भाजपा कुछ भी कर ले, शिवराज को राजनीतिक रूप से ठिकाने लगाना नामुमकिन है। 3 दिसंबर के बाद भाजपा की अंदरुनी राजनीति तेज होने की उम्मीद है।
देश के अस्सी करोड़ ग़रीब अगर चाहें तो इस चुनाव-पूर्व घोषणा को प्रधानमंत्री की तरफ़ से दीपावली के तोहफ़े के तौर पर भी स्वीकार कर सकते हैं कि आने वाले पाँच और सालों तक उन्हें मुफ़्त के अनाज की सुविधा प्राप्त होती रहेगी। सरकार को इस वक्त चिंता सिर्फ़ दो ही बातों की सबसे ज़्यादा है ! पहली ग़रीबों की और दूसरी हिंदुत्व की। चिंता को यूँ भी समझा जा सकता है कि हिंदुत्व की रक्षा के लिए ग़रीबों को बचाए रखना ज़रूरी है !
प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी, दोनों को उनकी ही पार्टियों के तपे-तपाए नेताओं ने लोकसभा चुनावों के पहले से तेवर दिखाना शुरू कर दिया है। तो क्या विधानसभा चुनाव में इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा?
मध्य प्रदेश चुनाव में क्या चल रहा है? देश के वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग ने इस लेख में मध्य प्रदेश की चुनावी परिस्थितियों का आकलन किया है। एक तरफ तो वो कह रहे हैं कि भाजपा ने शिवराज को मैदान में उतारकर एक तरह से कांग्रेस की मदद कर दी है। दूसरी तरफ वो कांग्रेस के हालात को देखकर भी चिंतित नजर आते हैं। गर्ग साहब कह रहे हैं कि पहले तो एमपी में भी कांग्रेस कर्नाटक की तरह जीत रही थी लेकिन अब सिर्फ जीत रही है। यानी कुछ न कुछ गड़बड़ है।
निठारी कांड पर अदालत ने हाल ही में फैसला सुनाया है। वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग ने निठारी कांड पर अपने एक पुराने लेख का जिक्र किया है। इस जिक्र में यह जिक्र भी आया है कि तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने वो लेख पढ़ा था। फिर मोदी ने श्रवण गर्ग से क्या कहा और मोदी अगर आज श्रवण गर्ग को देख लें तो क्या सवाल करेंगे...श्रवण गर्ग को भी यह आइडिया नहीं है कि मोदी उनसे क्या सवाल करेंगे...पढ़िए उनकी आपबीतीः
मोदी द्वारा इस दावे को लगातार दोहराते रहने के पीछे कि वे ही फिर से प्रधानमंत्री बनने वाले हैं, कोई तो अदृश्य ताक़त या मंत्र काम कर रहा होगा? राहुल गांधी की क्या रणनीति है?