एकनाथ शिंदे और बागी विधायकों की ओर से बार-बार बाला साहेब के हिन्दुत्व का तर्क दिया जा रहा है। यह जानना जरूरी है कि क्या शिवसेना अपनी शुरुआत से हिन्दुत्ववादी पार्टी थी?
शिवसेना के विद्रोही नेता एकनाथ शिंदे का वीडियो सामने आया है, जिसमें वो एक राष्ट्रीय पार्टी से मदद मिलने की बात कह रहे हैं लेकिन उन्होंने पार्टी का नाम नहीं लिया। आखिर शिंदे ऐसा क्यों कर रहे हैं?
महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार को बचाने के लिए एनसीपी चीफ शरद पवार मैदान में निकल पड़े हैं। उन्होंने कहा है कि उद्धव की सरकार बचाने के लिए हम सब कुछ करेंगे। उन्होंने कहा कि विधानसभा में तय होगा कि किसके पास बहुमत है।
महाराष्ट्र में उद्धव सरकार पर आए संकट के लिए कांग्रेस और टीएमसी ने बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है। दोनों पार्टियों का कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए बीजेपी सारा गेम कर रही है।
शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के तमाम दावों के बावजूद यह साफ होता जा रहा है कि कई विधायकों को जबरन सूरत और गुवाहाटी ले जाया गया था। शिवसेना के एक और विधायक कैलाश पाटिल ने आरोप लगाया है कि उन्हें जबरन सूरत ले जाया गया।
शिवसेना सुप्रीमो उद्धव के पास अब सिर्फ 13 विधायक ही बचे हैं। उद्धव ने गुरुवार को जो बैठक बुलाई थी, उसमें सिर्फ 13 विधायक पहुंचे। इंडिया टुडे ने गुवाहाटी से एक फोटो ट्वीट किया, जिसमें शिंदे ने अपने साथ 42 विधायक होने का दावा किया है।
शिवसेना के संकट पर उसके मुखपत्र सामना ने तीखा संपादकीय लिखा है। सामना में कहा गया है कि बीजेपी इस खेल की मास्टरमाइंड है। जनता शिवसेना विद्रोहियों को चुनाव जब होंगे तो भूतपूर्व कर देगी।
शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे आख़िर क्यों कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन को अप्राकृतिक यानी असहज गठबंधन क़रार दे रहे हैं? जानिए उन्होंने क्या तर्क दिया है।
शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने बुधवार शाम को फेसबुक लाइव में कहा कि अगर विधायक सामने से इस्तीफा मांगें तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं। एक तरह से उन्होंने बागी विधायकों को एक और संदेश भेजा है।
शिवसेना बंट गई। एकनाथ शिंदे ने अपना चीफ व्हिप नियुक्त करते हुए इसकी शुरुआत कर दी है। यह घटनाक्रम शिवसेना की शाम 5 बजे होने वाली बैठक से पहले आया है। क्योंकि शाम के लिए भी व्हिप जारी हुआ है। मामला अब तकनीकी हो गया है। शिंदे के साथ बीजेपी है।
क्या शिवसेना अब बदल गई है और वह बाला साहेब ठाकरे के मिजाज से अलग है? आख़िर शिवसेना के नेता ही उद्धव ठाकरे के सामने तनकर क्यों खड़े हैं जहाँ बाल ठाकरे के सामने ऐसा करने की शायद ही किसी की हिम्मत हो?