शिवसेना पर किसका हक है? एकनाथ शिंदे खेमे का या फिर उद्धव ठाकरे खेमे का? जानिए चुनाव आयोग ने क्या कहा है और इसके ख़िलाफ़ उद्धव खेमा सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुँचा है?
एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायकों की बग़ावत के बाद उद्धव ठाकरे के लिए अपनी सियासत को जिंदा रख पाना बेहद मुश्किल हो गया है। क्या वह इस मुश्किल से उबर पाएंगे?
यह साफ दिख रहा है कि उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना पर पकड़ कमजोर होती जा रही है और तमाम बड़े नेता लगातार उसका साथ छोड़ कर जा रहे हैं। ऐसे में उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
एकनाथ शिंदे गुट के द्वारा लगातार झटके दिए जाने के बाद उद्धव ठाकरे बेहद कमजोर पड़ गए हैं। आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की सियासत में कई बड़े सियासी घमासान देखने को मिल सकते हैं।
शिवसेना पर वास्तविक नियंत्रण किसका? यह लड़ाई आज तब और बढ़ गई जब उद्धव ठाकरे टीम ने कुछ नेताओं को पार्टी से निकाला तो एकनाथ शिंदे खेमे ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी भंग कर दी। जानिए दोनों खेमों ने आज क्या क्या फ़ैसले लिए।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को आज एक और झटका दिया। जानिए, शिंदे ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में क्या बदलाव किए और कितने सांसद उनके साथ दिखे।
शिवसेना के बागी और बीजेपी अक्सर एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना गठबंधन को अप्राकृतिक बताते रहे हैं। उस पर शिवसेना के मुखपत्र सामना में संजय राउत ने तीखी टिप्पणी की है। संजय राउत ने सवाल किया है कि जब एनसीपी और बीजेपी का गठबंधन 2019 में हुआ था तो वो क्या था, प्राकृतिक या अप्राकृतिक।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना की सरकार ढाई साल चलने वाली है। उन्होंने यह बात शिवसेना में अपने विरोधियों के लिए कही है।
आखिरकार शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी राष्ट्रपति पद की एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर दिया। पार्टी के 16 सांसदों ने सोमवार को उनसे स्पष्ट कह दिया था कि वो मुर्मू को समर्थन करना चाहते हैं। आखिरकार उद्धव को झुकना पड़ा।
शिवसेना के 16 सांसदों ने राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी की स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। उसने उद्धव ठाकरे को कहना है कि वो द्रौपदी मुर्मू को वोट देगी या नहीं।
मुंबई में आरे जंगल को बचाने का संघर्ष फिर से शुरू हो गया है। उद्धव ठाकरे सरकार ने लोगों की मांग पर आरे जंगल से कार शेड परियोजना को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया था। लेकिन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पद संभालने के चंद घंटों के अंदर इस फैसले को पलट दिया और आरे के जंगल में कार शेड परियोजना बनाने को हरी झंडी दिखा दी। यही वजह है कि आदित्य ठाकरे ने रविवार को मौके पर पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दे दिया।