जिस शरद पवार को उनके हाल के बयानों को लेकर विपक्षी एकता को पलीता लगाने वाला और रंग बदलने वाला कहा गया था, आज उन्होंने ऐसा क्या कर दिया कि विपक्ष और मज़बूत होने की बात कही जाने लगी?
अडानी मुद्दे पर जेपीसी जांच का विरोध करने वाले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने यूटर्न ले लिया है। अब वो विपक्षी एकता के लिए जेपीसी जांच की मांग का समर्थन करने को तैयार हो गए हैं। यह बड़ा घटनाक्रम कांग्रेस की बुजुर्ग नेता सोनिया गांधी के विपक्षी एकता के आह्वान के बाद सामने आया। जानिए पूरी राजनीतिः
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अब पीएम की डिग्री पर सवाल किए जाने को गैर जरूरी मुद्दा बताया है। हाल ही में अडानी मुद्दे पर उन्होंने कुछ ऐसा ही रुख अपनाया था। रंग बदलते पवार विपक्षी एकता के लिए खतरनाक होते जा रहे हैं।
कांग्रेस ने अडानी के साथ शरद पवार की फोटो ट्वीट करते हुए उन्हें लालची कहा तो बीजेपी की ओर से जबरदस्त प्रतिक्रिया आई। शरद पवार के बचाव में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और प्रवक्ता शहजाद पूनावाला उतर पड़े। जानिए पूरा घटनाक्रमः
राहुल पर जबावी हमला करते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि बोफोर्स घोटाले और नेशनल हेराल्ड के मामले में उनसे सवाल न करना उनकी शालीनता थी।
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने एनसीपी नेता शरद पवार के संदर्भ में बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि पवार के बयान से विपक्षी एकता में कोई दरार नहीं आएगी। महाराष्ट्र में एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) का गठबंधन कायम है। पहले इसे एमवीए यानी महा विकास अघाड़ी कहा जाता था।
एनसीपी चीफ शरद पवार ने आज शनिवार को अडानी मामले में विपक्ष की जेपीसी जांच की मांग खारिज कर दी। आखिर पवार ने कल की बात को आज फिर क्यों दोहराया। इसका क्या मतलब है। जानिए।
पवार द्वारा अडानी का बचाव करने तथा विपक्ष की जेपीसी मांग को खारिज करने के बाद तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने मीडिया और एनडीटीवी पर हमला बोला है।
संसद में काम न होने को लेकर पवार ने केवल कांग्रेस को दोषी ठहराने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह संयुक्त विपक्ष की मांग थी। लेकिन इसका समाधान खोजा जाना चाहिए था, और यह विपक्ष के साथ सरकार की भी जिम्मेदारी है।
शरद पवार उन नौ विपक्षी नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने रविवार को मोदी को लिखे गए एक लेटर पर हस्ताक्षर किए। इस पत्र में 'केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग' पर चिंता जताई गई थी
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के चुनाव बाद घटनाक्रम को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जो टिप्पणी की है, उससे उस समय के घटनाक्रम मेल नहीं खाते हैं। ज्यादा पुराना इतिहास नहीं है। जानिएः
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शरद पवार ने उद्धव ठाकरे से कहा है कि वो चुनाव आयोग के आदेश को स्वीकार करें। नया चुनाव चिह्न लें। कुछ दिन में लोग सब भूल जाएंगे और नए चुनाव चिह्न को स्वीकार नहीं करेंगे। पवार ने कहा कि नए घटनाक्रम से उद्धव की पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा।
महाराष्ट्र में 2019 में जब बीजेपी और शिवसेना की सरकार नहीं बनी तो तीन दिन के लिए एक सरकार बनी थी, जिसमें सीएम देवेंद्र फडणवीस बने और एनसीपी के अजीत पवार डिप्टी सीएम। तीन साल बाद उस राजनीतिक घटनाक्रम पर दो नेताओं में बयानबाजी हो रही है।