मुझे आज भी इस बात पर अचरज होता है कि एक बहुत कम उम्र के छात्र से प्रशासन इतना क्यों डरा हुआ था कि परीक्षा देने के लिए भी कॉलेज तक ले जाने के लिए तैयार नहीं था।
फ़िल्म की तरह चिराग़ पासवान का राजनीतिक भविष्य सुपर फ़्लॉप साबित होगा या फिर वह पार्टी में बग़ावत की आँधी के बीच अपने पिता राम विलास पासवान की राजनीतिक विरासत को संजो कर रख पाएँगे?
ब्लैक फंगस के मामलों के लिए कौन है ज़िम्मेदार? क्या कोरोना से इसका कोई संबंध है? कौन लोग ब्लैक फंगस की चपेट मं पहले आते हैं? देखिए डॉक्टर्स के साथ एक गंभीर चर्चा।
अस्पताल ने सभी लोगों की रिपोर्ट निगेटिव बताया। राय साहब और उनकी पत्नी को खाँसी हो रही थी इसलिए उन्होंने रिपोर्ट पर विश्वास नहीं किया और दोबारे जाँच के लिए कहा। इस बार उन्हें, उनकी पत्नी और एक अन्य सदस्य को पॉज़िटिव बताया गया।
ऑक्सीजन की कमी से बहुत सारे रोगी गंभीर स्थिति में पहुँच रहे हैं। इसके चलते आईसीयू और वेंटिलेटर पर रोगियों की संख्या बढ़ रही है। डॉक्टर ने यह भी बताया कि ऑक्सीजन की व्यवस्था हो तो बहुत सारे रोगियों का घर पर ही इलाज हो सकता है।
नया वायरस शरीर के भीतर अधिक तेज़ी से फैलता है। इसलिए मौत की दर काफ़ी बढ़ सकती है। पहले के स्ट्रेन की तरह ये हमारे नाक के भीतरी हिस्से में नहीं ठहरता बल्कि सीधे फेफड़े में पहुँच जाता है।
पश्चिम बंगाल चुनाव में जय श्री राम के मुक़ाबले जय माँ दुर्गा का नारा बुलंद करने के बाद ममता बनर्जी ने तुरूप का एक और पत्ता फेंका है। उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस का नया नारा है ‘बंगाल माँगे बंगाल की बेटी’।
तेजस्वी यादव एक नए हुंकार के साथ खड़े हुए हैं। चुनाव की बिसात पर वो अपने पिता लालू यादव के आरंभिक दिनों की तरह एक चतुर खिलाड़ी के जैसे आत्मविश्वास से भरे दिखाई दे रहे हैं। क्या नीतीश को हरा पाएँगे?
टीआरपी रेटिंग में गड़बड़ी का सबसे बड़ा कारण बहुत कम संख्या में बॉक्स का लगाया जाना है। देश में इस समय 44 हज़ार बॉक्स लगे हैं। जबकि टीवी सेट की संख्या 20 करोड़ है और क़रीब 80 करोड़ लोग रोज़ टीवी देखते हैं।
डब्ल्यूएचओ और भारत में आईसीएमआर ने इसके उपयोग की अनुमति दे दी है। लेकिन इसकी डोज़ को तय करने के लिए एक साधारण क्लीनिकल ट्रायल की ज़रूरत है जिसको लेकर आईसीएमआर ने चुप्पी साध रखी है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का आँकड़ा है कि 2012 से 2017 में बलात्कार के मामले 35 फ़ीसदी बढ़े। 2012 में निर्भया कांड के बाद कई क़ानून में बदलाव हुए, लेकिन दुष्कर्म नहीं कम हुए। क्या क़ानून-व्यवस्था की विफलता के कारण हाथरस गैंगरेप जैसे मामले बढ़ रहे हैं?