सावरकर को लेकर भारतीय राजनीति में हमेशा विवाद रहा है। बीजेपी और हिंदुत्व की राजनीति करने वाले संगठन सावरकर को सबसे बड़ा देशभक्त बताते हैं जबकि कांग्रेस और कुछ इतिहासकार अपने दावों के जरिये इसे नकारते हैं।
विडंबना देखिए कि जिस साल गाँधी के जन्म के 150 साल पूरे होने का जश्न मनाया जा रहा था उसी साल गाँधी की हत्या के षड्यंत्र के सरगना को भारत रत्न बनाने की माँग की जा रही थी।
आरएसएस के राजनैतिक जेबी संगठन बीजेपी ने महाराष्ट्र चुनाव में जारी अपने संकल्प पत्र में हिंदुत्व विचारधारा के जनक वीर सावरकर को भारत रत्न दिलाने का वादा किया है। लेकिन क्या सावरकर इसके काबिल हैं?
गृह मंत्री अमित शाह ने क्यों कहा कि इतिहास को फिर से लिखे जाने की ज़रूरत है? क्या इसकी तैयारी चल रही है? और यदि इसे फिर से लिखा जाता है तो इसमें क्या बदलाव होंगे?
सावरकर को भारत रत्न क्यों मिलना चाहिए? क्या इसलिए कि अंग्रेज़ों से माफ़ी माँगी? क्या इसलिए कि महात्मा गाँधी की हत्या के मामले में जेल जाना पड़ा था? क्या इसलिए कि जेल से छुटने के बाद आज़ादी की लड़ाई में शामिल नहीं हुए? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
एक बार फिर सावरकर को भारत रत्न देने की बात उठी है और वह भी चुनावी मौसम में। इस बार यह बात भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में छापकर चर्चा में लायी गयी है।
सुभाष के सामने सावरकर को खड़ा करने की कोशिश की जा रही है, जिसने अंग्रेज़ों को भगाने के लिए क़ुर्बानियाँ दीं, उनके सामने उस शख़्स को खड़ाने करने का प्रयास हो रहा है जिसने अंग्रेजों की मदद की।