क्या महात्मा गांधी और विनायक दामोदर सावरकर को एक तराजू में तौला भी जा सकता है? आख़िर गांधी स्मृति और दर्शन स्मृति के ताजा अंक में सावरकर का कद गांधी के बराबर क्यों पेश करने की कोशिश की गई है?
कंगना रनौत देश की आज़ादी को लेकर दिए गए विवादित बयान के बाद उन्होंने महात्मा गांधी पर हमला किया है। कंगना ने गांधी जी के अहिंसा के मंत्र का मजाक उड़ाते हुए कहा है कि दूसरे गाल को भी आगे कर देना भीख है न कि आज़ादी।
राजनाथ सिंह ने यह क्यों कहा कि महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने अँग्रेज़ों को माफ़ीनामे लिखे थे? क्या इसके लिए कोई तथ्य है या फिर गांधी के विचारों पर हमले का प्रयास है?
केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने ऐसा क्यों कहा कि सावरकर ने गाँधी के कहने पर माफ़ी माँगी थी? क्या वे गाँधी का इस्तेमाल करके सावरकर के पाप धोना चाहते हैं? क्या ऐसे झूठे बयानों से सावरकर की कायरता छिप सकती है? क्या इसके पीछे सावरकर को महिमामंडित करके उन्हें प्रतिष्ठित करने की मंशा है? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं- प्रो. राम पुनियानी, प्रो. अपूर्वानंद, शम्सुल इस्लाम, मणिमाला एवं अशोक कुमार पांडेय-
Satya Hindi news Bulletinसत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। ओवैसी: ऐसी ही चलता रहा तो ये लोग सावरकर को बना देंगे राष्ट्रपिता । महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने दायर की थी दया याचिका: राजनाथ
सावरकर माफ़ी माँग काला पानी से बाहर आए ? क्या वो अंग्रेज़ों के विश्वासपात्र थे ? गांधी ने क्या उनको सलाह दी थी ? आशुतोष के साथ चर्चा में आदित्य मुखर्जी और इरफ़ान हबीब ।
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने दया याचिका दाखिल की थी। आख़िर वह किस आधार पर यह कह रहे हैं? क्या ऐतिहासिक तथ्य इसकी पुष्टि करते हैं?
प्रधानमंत्री मोदी ने आख़िर किसलिए घोषणा की है कि अब से हर वर्ष 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के तौर पर मनाया जाएगा? क्या यह उत्सव पराजय के लिए मनाया जा रहा है?
हिंदुत्व का चेहरा रहे सावरकार के नाम पर कर्नाटक में फ्लाईओवर के उद्घाटन को विरोध के बाद आख़िरी समय में रद्द करना पड़ा। इसमें दोनों तरफ़ से अजीब राजनीति हुई।
सावरकर को लेकर भारतीय राजनीति में हमेशा विवाद रहा है। बीजेपी और हिंदुत्व की राजनीति करने वाले संगठन सावरकर को सबसे बड़ा देशभक्त बताते हैं जबकि कांग्रेस और कुछ इतिहासकार अपने दावों के जरिये इसे नकारते हैं।
विडंबना देखिए कि जिस साल गाँधी के जन्म के 150 साल पूरे होने का जश्न मनाया जा रहा था उसी साल गाँधी की हत्या के षड्यंत्र के सरगना को भारत रत्न बनाने की माँग की जा रही थी।