'आज के शिवाजी- नरेंद्र मोदी' किताब को लेकर बीजेपी ने भले ही अपना पल्ला झाड़ लिया हो लेकिन महाराष्ट्र में इस किताब को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।
राजनीतिक मत भिन्न रखने वाले कलाकारों की फ़िल्मों का बहिष्कार इस बात को स्पष्ट कर दे रहा है कि सिर्फ़ मीडिया ही 'गोदी मीडिया' नहीं बना है सिनेमा भी किसी ऐसे ही नाम का इंतज़ार कर रहा है।
एक पर्यटन स्थल के रूप में पहचान रखने वाले गेट-वे ऑफ़ इंडिया पर रात जो तसवीर थी वह 'इंडिया गेट' जैसी नज़र आयी जो अक्सर आंदोलनों-धरनों-प्रदर्शनों का गवाह रहा है।
आख़िर बीजेपी के नेताओं में सावरकर के प्रति अचानक इतना प्रेम कैसे उमड़ आया है। यह उनकी सावरकर के प्रति सच्ची श्रद्धा है या इसमें भी कहीं कोई राजनीतिक चाल छुपी हुई है?
महाराष्ट्र में हुए मंत्रिमंडल विस्तार से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के कुछ नेता ख़ुश नहीं दिखाई दे रहे हैं। लेकिन क्या इससे सरकार की स्थिरता को कोई ख़तरा होगा?
राजस्थान के कोटा में सरकारी अस्पताल में एक माह में 77 बच्चों की मौत हो चुकी है। यह सब ऐसे माहौल में हो रहा है जब एक तरफ़ प्रदेश सरकार ने 'निरोगी राजस्थान' की मुहिम शुरू की है और 'राइट टू हेल्थ' देने की तैयारी कर रही है।
क्या महा विकास अघाड़ी की सरकार भीमा कोरेगाँव हिंसा प्रकरण की जाँच करवाएगी। और क्या नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में महाराष्ट्र पुलिस की जाँच का नजरिया बदलेगा?