गौतम अडानी के फ़ार्म हाउस पर शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल और अमित शाह की कथित मुलाक़ात की ख़बर के बाद बयानबाज़ी शुरू हो गयी कि क्या राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, बीजेपी से हाथ मिलाकर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन करने वाली है।
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में नई सरकार का गठन भी हो गया। लेकिन ठाकरे सरकार के गिरने को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बयानों का सिलसिला थमा नहीं।
तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर और कामरेड गोविंद पानसरे की हत्या के मामले में चल रही जांच को लेकर एक बार फिर बॉम्बे हाई कोर्ट ने जाँच एजेंसियों को फटकार लगाई है।
महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले एक साल से आत्महत्याओं पर बहस का दौर शुरू है। सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद से लेकर मनसुख हिरेन की मौत तक एक पहेली ही बनी हुई है।
बीएचआर मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी संस्था में हुई कथित अनियमितताओं को लेकर गिरीश महाजन के क़रीबी व्यवसायी सुनील झंवर के जलगाँव स्थित ठिकानों पर छापेमारी क्यों की गई है?
कोरोना के कारण महाराष्ट्र का औद्योगिक चक्र थमा तो पूरा आर्थिक ढांचा ही लड़खड़ा गया ऐसे में कृषि को लेकर जो कुछ उम्मीद जगी थी वह भी अतिवृष्टि से धराशाही हो गयी।
बॉलीवुड में नशे का जाल तलाश रहा मीडिया खुद ऐसे जाल में फंसता जा रहा है, जिसके बल पर कुछ चैनल अपने आपको नंबर वन होने और सबसे ज्यादा देखे जाने का दावा करते हैं।
मराठा आरक्षण महाराष्ट्र की महाविकास आघाडी के लिए अग्नि परीक्षा जैसा साबित होता जा रहा है। सरकार नौकरी, भर्तियाँ या परीक्षाएँ टाले जा रही है लेकिन इससे दूसरे वर्ग के लोगों में ग़ुस्सा बढ़ रहा है।
खबरिया चैनलों के स्टूडियो में अदालतों का सजना और जांच एजेंसियों के आधिकारिक बयान आने से पहले अपने एजेंडे के मुताबिक़ बहुत कुछ फर्जी खबरें परोसना बदस्तूर जारी है।