लोकसभा चुनाव की जीत का स्वाद अभी मुँह से गया भी नहीं कि महाराष्ट्र में सत्ताधारी बीजेपी- शिवसेना के बीच विधानसभा चुनाव में ‘बड़ा भाई’ बनने को लेकर रस्साकशी शुरू हो गयी है।
जिस विचारधारा की लड़ाई की बात राहुल गाँधी कर रहे हैं क्या वह कांग्रेस को उस मुकाम तक पहुँचा पाएँगे? उस दौर में जब ‘विचारधारा’ को सिर्फ़ एक शब्द ‘सत्ता’ तक संकुचित कर दिया गया है?
मतदान की समाप्ति के बाद एग्ज़िट पोल पर चर्चाएँ जारी हैं। लेकिन इन सबमें एक चीज पर जो चर्चा नहीं हो रही है वह है मीडिया की भूमिका। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर चर्चा क्यों नहीं?
जेएनयू से शुरू हुआ कथित राष्ट्रवाद का खेल एक दिन राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को भी पाकिस्तानी क़रार देगा शायद ही किसी ने सोचा होगा? अब बीजेपी के एक नेता ने महात्मा गाँधी को पाकिस्तान का राष्ट्रपिता कह डाला।
अमित शाह ने 300 सीटों से ज़्यादा जीतने का दावा किया है। लेकिन पहले के चुनावों के आँकड़े तो तसवीर कुछ अलग ही पेश करते हैं। ये आँकड़े अमित शाह के दावे के विपरीत कहानी कहते हैं।
शरद पवार ने साफ़ तौर पर कहा है कि यदि राष्ट्रपति ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलवा भी दी तो वही हाल होगा जो 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार का हुआ था।
आज अनुकूल मौसम दिखाई पड़ रहा है, लेकिन तीसरे मोर्चे की नींव नहीं पड़ती दिख रही। इसमें सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या तीसरा मोर्चा या फ़ेडरल फ़्रंट अब इस दौर की राजनीति में प्रासंगिक नहीं रहे?
महाराष्ट्र में क्या फिर मराठा आरक्षण का आन्दोलन भड़केगा? यह सवाल इसलिए क्योंकि मुंबई के आज़ाद मैदान में पिछले एक सप्ताह से मराठा आरक्षण के दायरे में आने वाले मेडिकल विद्यार्थी पिछले एक सप्ताह से आन्दोलन कर रहे हैं।
देश के 50 प्रतिशत हिन्दू मतदाताओं का ध्रुवीकरण कर 50 साल तक सत्ता में बने रहने का अमित शाह और नरेंद्र मोदी का फ़ॉर्मूला कोई नया नहीं है। लेकिन क्या यह फ़ेल नहीं हो गया है?
बिना चुनाव लड़े राज ठाकरे की पार्टी को नोटिस भेज कर सभाओं के खर्च़ देने की माँग चुनाव आयोग ने की है। क्या चुनाव आयोग सत्ताधारी दल के दबाव में ऐसा कुछ कर रहा है?
लोकसभा चुनाव के नतीजे आये भी नहीं हैं, लेकिन महाराष्ट्र में अगले संघर्ष यानी विधानसभा चुनाव की बिसात बिछले लगी है। तो क्या सूखे का मुद्दा अब ज़ोर शोर से उठेगा?
धुले लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले मुसलिम बहुल मालेगाँव सेंट्रल विधानसभा क्षेत्र में साध्वी प्रज्ञा का मामला प्रमुख मुद्दा बन गया है और दूसरे चुनावी मुद्दे दब गए हैं। इस क्षेत्र में क़रीब 17 फ़ीसदी वोटर मुसलिम हैं।
महाराष्ट्र के चुनावों में इस बार एक मुद्दा जोर-शोर से चर्चा में है और वह है प्रॉक्सी (परोक्ष) प्रचार का। इसको लेकर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी तक को शिकायत कर इसे रुकवाने की माँग की गयी है।